आवाज़ ए हिमाचल
आशीष पटियाल,शाहपुर अस्पताल
15 जुलाई।बोह हादसे के दौरान अपने माता-पिता को नई जिंदगी देने वाली सात वर्षीय वंशिका सकुशल अपने नानी के घर पर है।मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक वंशिका पीजीआई चंडीगढ़ में उपचारधीन है।पर हकीकत यह है कि वे पूरी तरह से ठीक है तथा अपनी नानी के घर करेरी में है।पीजीआई में एक अन्य बच्ची अवंतिका दाखिल है।अवंतिका की माता को भी चोटे आई है तथा वे अभी शाहपुर अस्पताल में उपचारधीन है।वंशिका की अगर बात करे तो हादसे के दौरान वे अपने पिता व माता के साथ मलबे में दबे घर में थी।वंशिका मलबे में दबे होने के बाबजूद न केवल अपने माता पिता को हौंसला देती रही,बल्कि उन्हें नया जीवन भी दिया।वंशिका ने हिम्मत दिखाते हुए एक के बाद एक 10 फोन कर लोगों को अपने व अपने परिजनों के दबे होने की बात कह सहायता मांगी।अंत मे उन्होंने अपने अध्यापक सुरेंद्र को फोन किया तथा उसके बाद लोग उनकी मदद को घटनास्थल पर दौड़े।लोगों ने चार घँटे तक कड़ी मशक्कत के बाद लेटल तोड़ कर वंशिका,उनकी माता,उनके पिता को जीवित बाहर निकाला,हालांकि इस दौरान उसकी डेढ़ साल की छोटी बहन को जीवित नहीं निकाला जा सका।वंशिका के पिता विजय की माने तो वे रुलेहड़ में अपनी पत्नी व दो बच्चियों के साथ किराए पर रह रहे थे,वे बोह में ही एक निजी विधुत प्रोजेक्ट में कार्य करते है।
घटना वाले दिन वे छुट्टी पर थे तथा घर के बरामदे में खड़े थे।ऊपर से एकदम मलबा आता देख वे अपनी बच्चियों व पत्नी को बचाने कमरे की तरफ दौड़े,लेकिन चंद सैकिंड में ही वे मलबे में दफन हो गए।उन्होंने बताया कि उनका मुह व एक हाथ ही मलबे के बाहर रहा, जबकि बाकी का शरीर मिट्टी में फंस गया था।उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था,एक समय तो वे भगवान से प्रार्थना भी की कि उन्हें मौत दे दे,लेकिन तभी उन्हें वंशिका की आवाज सुनाई दी।वंशिका उन्हें व पत्नी को हौंसला देती रही।वंशिका व पत्नी की बाते सुन कर उन्हें जीने की एक बार फिर ललक जागी।उन्होंने कहा कि वंशिका ने इस दौरान कई लोगों को फोन किये तथा बाद में उन्हें निकालने का कार्य शुरू हुआ।उन्होंने कहा कि उनकी एक बच्ची नहीं बच पाई जिसका दुःख उन्हें हमेशा रहेगा।वंशिका की माता ने कहा कि उनकी टांग किसी चीज़ से दब गई थी उन्होंने तो जीने की आस ही छोड़ दी थी अगर वंशिका उन्हें हिम्मत नहीं देती तो शायद कोई भी बच्च नहीं पता।उन्होंने कहा कि वंशिका अपनी जान की परवाह किये बगैर उन्हें व उनके पति को हिम्मत देती रही तथा उसकी की बदौलत वे आज ज़िंदा है।वंशिका की नानी ने बताया कि वे ठीक है तथा उनके घर पर है।वंशिका बेटी पर आज हर किसी को गर्व है।लोगों ने अब उन्हें बहादुरी का मेडल देने की आवाज़ भी उठानी शुरू कर दी है।