आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर
05 जुलाई।जिला कांग्रेस महासचिव संदीप सांख्यान ने प्रदेश सरकार के वरिष्ठतम मंत्री के द्वारा शिक्षकों को लेकर की गई टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठतम मंत्री शायद यह भूल गए है कि शिक्षक हर जीवन का आधार होते है और उनके बारे में ऐसी टिप्पणी करना कि “कोरोना काल मे शिक्षको के मज़े रहे हैं” मैं उनको बताना चाहता हूं कि मोबाईल से व्हाट्सएप से बच्चों को पढाना उतना ही मुश्किल होता है जितना कि तपती धूप में किसी जल शक्ति विभाग के मजदूर को जमीन को खोदने के लिए गैंती चलना होता है। शिक्षक समाज पर की गई दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणी की जितनी निंदा की जाए उतनी कम है। मंत्री का यह ब्यान उनकी कर्मचारी विरोधी मानसिकता को पूरी तरह सामने लाया है। बहुत ही दुखद बात है कि अभी कुछ महीने पहले ही कॉरोना काल में शिक्षा के क्षेत्र में प्रथम आने वाले प्रदेश के मंत्री द्वारा शिक्षकों के मनोबल व आत्मसम्मान पर हमला किया है। उनके इस बयान से जहां शिक्षक समाज आहत हुआ है वहीं पाठशाला में पढ़ने वाले छात्रों की नज़रों में भी शिक्षकों की साख को धक्का लगाने का प्रयास हुआ है। जिला कांग्रेस महासचिव ने कग है कि अध्यापकों ने कोरोना काल में जिस दबाव में सरकार के हर निर्णय का साथ देते हुए कार्य किया है वह अपने आप में सराहनीय है। प्रदेश के प्रवेश बैरियारों से लेकर टीकाकरण केंद्रों तथा डाटा ऑपरेटर तक वे सभी कार्य अध्यापकों ने बिना प्रश्न उठाए किए है। इसके अलावा तकनीक से पूरी तरह परिचित न होने पर भी प्रदेश के अध्यापकों ने ऑनलाइन शिक्षण द्वारा विद्यार्थियों की पढ़ाई सुचारू रखने का भरसक प्रयत्न किया। और तो और अभी हाल में समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला है कि प्रदेश के बहुत सारे स्कूलों में अध्यापकों ने खुद के पैसों से गरीब बच्चों के लिए मोबाइल तक दिए। शिक्षा मंत्री जी स्वयं एक पाठशाला में इनका वितरण करके आए हैं। इन परिस्थितियों में इस तरह का बयान कहीं न कहीं इस बात के लिए भी इशारा करता है कि सरकार के अंदर सब ठीक नहीं है। अध्यापकों को कोरोना वारियर्स सरकार ने घोषित किया ताकि स्कूल लगने से पहले बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा सके। लेकिन मंत्री जी को ये भी नागवार गुज़रा है। मतलब साफ है वे मुख्यमंत्री के निर्णय की भी खिल्ली उड़ा रहे हैं। ऐसे में या तो फिर से मंत्री जी पार्टी बदलने के मूड में लग रहे हैं या फिर सरकार में अपने कद को लेकर बौखलाहट में हैं। राजनीतिक कारण जो भी हों लेकिन मंत्री को अपने इस बहुत ही दुखद ब्यान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। सरकार के इन वरिष्ठम मंत्री जी को शायद पता नही है कि यदि शिक्षक रहेगा तो, कुशल प्रशासक, कुशल राज नेता, कुशल चिकित्सक, कुशल इंजीनियर, कुशल उद्यमी और एक कुशल नागरिक होगा जो हमारे समाज की बुनियाद बनाएगा। ऐसे में शिक्षक समाज के लिए ऐसी भाषा बोलना मंत्री जी के द्वारा बहुत विकृत मानसिकता का परिचय दिया गया है।