आवाज ए हिमाचल
30 जून। उच्चतम न्यायालय ने अपने एक महत्त्वपूर्ण फैसले में बुधवार को कहा कि कोरोना के कारण जान गंवाने वालों के परिजनों को अनुग्रह राशि देने के लिए सरकार बाध्य है। न्यायालय ने हालांकि अनुग्रह राशि तय करने का फैसला सरकार पर ही छोड़ दिया। 8 न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एम आर शाह ही खंडपीठ ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 12 के प्रावधानों के तहत प्राधिकरण राष्ट्रीय आपदा के पीडि़तों को न्यूनतम राहत प्रदान करने के लिए संवैधानिक तौर पर बाध्य है।
न्यायालय ने कहा कि अधिनियम की धारा 12 (तीन) के तहत इस न्यूनतम राहत में मुआवजा भी शामिल है। न्यायालय ने गौरव बंसल और रीपक कंसल की याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया कि धारा 12 अनिवार्य प्रावधान नहीं है। न्यायालय ने धारा 12 की व्याख्या करते हुए कहा कि धारा 12 के प्रावधान अनिवार्य हैं। हालांकि न्यायालय ने सरकार को मुआवजे के तौर पर कोई राशि निर्धारित करने से इंकार कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने कोरोना के शिकार लोगों के परिजनों को चार लाख रुपये का मुआवजा देने को लेकर सरकार से निर्देश की मांग की थी।