आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा,बिलासपुर
06 अप्रैल। अब हिमाचल के लोग थोड़ी से लागत लगा कर अच्छी आमदमी कमा सकते है जिसके लिए न तो खेतो की आवश्यकता है और न ही ग्रीन हाउस इत्यादि की। इसके लिए न तो मजदूरो की आवश्यकता है मात्र एक या दो व्यक्ति मामली का कार्य कर इस व्यवसाय को कर सकता है और यह व्यवसाय मात्र एक कमरे में हो सकता है जिससे साल में कम से कम 6 लाख रु की आमदनी कमाई जा सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म निर्भर भारत के सपने को साकार करने में यह व्यवसाय काफी कारगर सिद्ध होगा। कहलूर बायो साइसिज एंड रिसर्च सेण्टर घुमारवीं के वैज्ञानिकों ने अपनी लैब में औषधीय मशरूम तैयार कर दी है और अब वह अन्य लोगो को भी इस बारे में ट्रेनिंग दे रहे है ताकि लोग इस व्यवसाय को अपना कर आत्म निर्भर बन सके। कहलूर बायो साइसिज एंड रिसर्च सेण्टर घुमारवीं के वैज्ञानिक डा अमित ठाकुर ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि औषधीय मशरूम का यदि कोई व्यक्ति व्यवसाय करना चाहता है तो वह इस औषधीय मशरूम को अपने एक कमरे में तैयार कर सकता है इसके लिए न तो खेत की आवश्यकता है न किसी ग्रीन हाउस की न मजदूरो की। मात्र एक या दो लोग अपने छोटे से कमरे में इसका उत्पादन कर सकते है।उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति अपने 10×10 के कमरे में इसका उत्पादन करना चाहता है तो उसे मात्र दो लाख रु खर्च करने पड़ेंगे जिसमे उसकी मशीन और बीज इत्यादि सब कुछ आ जायेगा और मात्र तीन महीने में उसकी औषधीय मशरूम तैयार हो जाएगी और तीन माह बाद इस औषधीय मशरूम की कीमत करीब 2 लाह रु मिलेगी इस तरह वह साल भर इस कारोबार को छोटे से स्तर पर करके साल के कम से कम 6 लाख रु कमा सकता है।अगर उसकी औषधीय मशरूम की गुणवता अधिक होती है तो उसे इसका मूल्य भी ज्यादा मिलेगा।उन्होंने बतया कि यह औषधीय मशरूम फार्मा सुटिक्ल कम्पनी वालो के अलावा कई अन्य कंपनी खरीद रही है।इसके लिए मात्र 4 दिन की ट्रेनिंग करनी होगी जो कहलूर बायो साइसिज एंड रिसर्च सेण्टर घुमारवीं में होगी जिसके बाद आप इस व्यवसाय को बिना किसी के मदद से कर सकते हो।
कहलूर बायो साइसिज एंड रिसर्च सेण्टर घुमारवीं ट्रेनिंग के दौरान सारी जानकारी उपलब्ध करवाएगा की कहा से इसको तैयार करने की मशीन आएगी कैसे इसे तैयार किया जायेगा और कहा इसे बेचा जायेगा और कैसे इसकी गुणवता को बढ़ाया जायेगा यह सारी जानकारी मात्र चार दिन के प्रशिक्षण में दी जाएगी। उन्होंने कहा कि लोग इस व्यवसाय को अपना कर आतम निर्भर बन सकते है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म निर्भर भारत के सपने को यह साकार करेगा। डा अमित ठाकुर ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि औषधीय मशरूम कॉर्डिसेप्स भोजन और पारंपरिक चिकित्सा के मूल्यवान स्रोत हैं और इनका उपयोग वैकल्पिक दवाओं के रूप में किया जा रहा है। वे विभिन्न जैव सक्रिय घटकों के समृद्ध स्रोत हैं जिनके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली, अधिक ऊर्जा और बेहतर सहनशक्ति लोगों की वर्तमान परिस्थितियों की मांग है। औषधीय मशरूम लोगों के स्वास्थ्य मानक को बढ़ाने में मदद करता है। स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले लाभों की अपनी विस्तृत श्रृंखला के कारण कॉर्डिसेप्स “महंगा मशरूम” है। हम कुछ खाद्य सामग्री के बारे में जानते हैं जैसे कि काली मिर्च या हर घर में पाया जाने वाला हिंग सोना जितना महंगा है। हिमाचल प्रदेश में सेब सहित कृषि उत्पादों की विविधता है और उनमें से कई आय का एक प्रमुख स्रोत हैं। पूरे विश्व में कश्मीरी केसर या प्रीमियम गुणवत्ता वाले दार्जिलिंग चाय जैसे लक्जरी खाद्य पदार्थ मांगे जाते हैं। ऐसी ही एक महंगी चीज है कॉर्डिसेप्स मशरूम के पास सबसे मूल्यवान नकदी फसल में से एक बनने की बहुत बड़ी क्षमता है। कई अध्ययनों के अनुसार पता चला है कि कॉर्डिसेप्स मशरूम थकान को कम करती हैं और शरीर की सहनशक्ति को बढ़ाती हैं। यह एटीपी स्तर और एंटीऑक्सिडेंट एंजाइम गतिविधि को बढ़ाकर मांसपेशियों की शक्ति को बढ़ाता है। यह मांसपेशियों में लैक्टिक एसिड के स्तर को भी कम करता है। कई शोधों ने यह भी प्रदर्शित किया कि यह मशरूम मांसपेशियों को नियंत्रित करने वाले मार्गों को सक्रिय करके मांसपेशियों से ग्लूकोज को बढ़ाता है।
इसके अलावा यह मशरूम एटीपी ऊर्जा अणुओं को बढ़ाता है और शरीर की एंटीऑक्सिडेंट रक्षा को बढ़ाकर मुक्त कणों को हटाता है। यह मशरूम रक्त और यकृत ग्लाइकोजन स्तरों में इंसुलिन की उपलब्धता को भी बढ़ाता है। यह रक्त प्रवाह और टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाकर व्यायाम के दौरान हृदय की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। इस प्रकार यह थकान को कम करता है और शरीर की शक्ति बढ़ाता है। कैंसर की रोकथाम और उपचार में इसके व्यापक अनुप्रयोगों के कारण, दुनिया भर में पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा में सार्वजनिक रुचि बढ़ गई है। कैंसर मानव स्वास्थ्य के लिए एक वैश्विक चुनौती है। कॉर्डिसेप्स में पाया जाने वाला कॉर्डिसेपिन कई तरीकों से एक मजबूत एंटीकैंसर एजेंट के रूप में सामने आया है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि कॉर्डिसेपिन मानव कैंसर कोशिकाओं के एपोप्टोसिस को प्रेरित करता है। कई शोधों के अनुसार कॉर्डिसेप्सिन को व्यापक रूप से एंटीट्यूमर एजेंट के रूप में उपयोग किया जाता है, जिसमें एंटी-मेटास्टेटिक और एंटीप्रोलिफेरेटिव प्रभाव के साथ-साथ एपोप्टोसिस को उत्प्रेरण के लिए पाया गया है। कॉर्डिसेपिन ट्यूमर के विकास और मेटास्टेसिस से संबंधित सिग्नलिंग मार्ग को नियंत्रित करता है। इसलिए ट्यूमर को लक्षित करने वाले एंटीकैंसर ड्रग्स के विकास के लिए कॉर्डिसेप्स फायदेमंद हो सकते हैं I