लाहौल में 75 दिनों तक चला स्नो फेस्टिवल

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आवाज़ ए  हिमाचल 

30 मार्च। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 75 दिनों तक चले देश के सबसे लंबे उत्सव  स्नो फेस्टिवल का वर्चुअल समापन किया। केलांग पुलिस ग्राउंड में स्क्रीन पर ऑनलाइन संबोधन करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्नो फेस्टिवल का विधिवत समापन करते हुए घाटी जनता को बधाई दी। इस मौके पर सीएम ने स्नो फेस्टिवल पर तैयार की गई 14 मिनट के वृत्तचित्र का भी विमोचन किया। जो जल्द डीसी लाहौल-स्पीति के आधिकारिक  यू-ट्यूब  चैनल पर उपलब्ध होगा। 14 जनवरी को स्नो फेस्टिवल का आगाज हुआ था। सोमवार को पूरे 75 दिनों बाद सीएम ने फेटिवल का ऑनलाइन समापन किया।


प्रशासन और जनता के सहयोग से जीरो बजट पर इतने लंबी अवधि के फेस्टिवल का आयोजन कर लाहौल-स्पीति के नाम एक कीर्तिमान जुड़ गया है। फेस्टिवल में महिला और युवक मंडलों के साथ पंचायत प्रतिनिधियों का अहम योगदान रहा। सर्दी के छह महीने तक जिस इलाके में विकास की गति रुक जाती है, वहां सर्द मौसम में पहली बार स्नो फेस्टिवल के बहाने मुख्य सचिव, सचिव वित्त, कार्मिक और प्रधान सचिव जनजातीय विकास जैसे सरकार के वरिष्ठ अधिकारी लाहौल पहुंचे। उत्सव के बहाने घाटी की महिलाओं ने महिला सशक्तीकरण की जीवंत मिसाल पेश की। स्नो फेस्टिवल के जरिये लोगों के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक तथा सामाजिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों का आदान-प्रदान हुआ। स्नो फेस्टिवल में लाहौल-स्पीति के हर छोटे-बड़े त्योहारों और उत्सवों को शामिल किया गया।

स्नो फेस्टिवल में लाहौल-स्पीति में पहली बार  स्कीइंग, साइकिलिंग और तीरंदाजी को राष्ट्रीय स्तर तक पहचान मिली। इस दौरान राष्ट्रीय स्तरीय एमटीबी बाइकिंग व राज्य स्तरीय तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। वहीं, स्नो फेस्टिवल के जरिये 90 साल बाद शंगजातर,  70 साल बाद जातर और गमचा उत्सव करीब 40 सालों बाद फिर से पुनर्जीवित हुए। अटल टनल के समीप सिस्सू में सैलानियों के लिए तीन दिनों तक पारंपरिक व्यंजनों का फूड फेस्टिवल लगाया गया। इसमे देश भर से पहुंचे सैलानियों ने जनजातीय व्यंजनों का जायका लिया। फूड फेस्टिवल के जरिये स्थानीय लोगों को रोजगार का एक बेहतर विकल्प मिला।

सालों से अपनी मिट्टी और परंपराओं से दूर रह रही लाहौल-स्पीति की नई पीढ़ी को अपने सांस्कृतिक विरासत से रूबरू होने का मौका मिला। पढ़ाई और अन्य कारणों से घाटी से बाहर रह रही नई पीढ़ी अपनी बोली और संस्कृति से दूर होती जा रही है। स्नो फेस्टिवल के माध्यम से उन्हें समृद्ध संस्कृति और त्योहारों से रूबरू होने का मौका मिला।स्नो फेस्टिवल के जरिये भविष्य में लाहौल-स्पीति के पर्यटन को पंख लगने की उम्मीद है। हालांकि इस बार कोविड-19 के कारण फेस्टिवल में ज्यादा पर्यटक शामिल नहीं हो सके। लेकिन उम्मीद है कि आने वाले दिनों में सैलानी यहां की खूबसूरत वादियों को निहारने के साथ घाटी की समृद्ध संस्कृति और व्यंजनों का भी लुत्फ उठा सकेंगे। जिससे लोगों को आर्थिकी मजबूत करने का अतिरिक्त विकल्प भी मिलेगा। स्नो फेस्टिवल के पीछे डीसी पंकज राय ने बेहतरीन काम किया। पंकज राय ने इस फेस्टिवल को शुरू करने से पहले घाटी के हर महिला और युवकों मंडलों के साथ पंचायत प्रतिनिधियों से फीड बेक लिया। उसके बाद ही स्नो फेस्टिवल की पटकथा लिखी गई।

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