आवाज़ ए हिमाचल
24 फरवरी। कोरोना महामारी के कारण रेल सेवा बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसके चलते बहुत सी ट्रेनें अभी भी नहीं चल रही हैं और यात्रियों की संख्या में भी गिरावट आई है। इस वजह से रेलवे को काफी नुकसान हो रहा है। लोग अभी भी रेल से यात्रा करने से हिचक रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि कई ट्रेनों की 10 प्रतिशत तक सीटें ही भर पा रही हैं। कोरोना संकट के कारण पश्चिम रेलवे को लगभग पांच हजार करोड़ रुपये सालाना का नुकसान हो रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी जानकारी दी है।पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक आलोक कंसल ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि कोरोना वायरस के डर से कई लोग अभी भी ट्रेन से यात्रा करने से हिचक रहे हैं। पश्चिम रेलवे द्वारा वर्तमान में चलाई जा रही कुछ ट्रेनों में केवल 10 प्रतिशत तक सीटें ही भर पा रही हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना आउटब्रेक से पहले पश्चिम रेलवे 300 पैसेंजर ट्रेने चलाता था। लेकिन सरकार ने कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए पिछले साल मार्च में देशभर की यात्री ट्रेनों पर रोक लगा दी।
यात्री ट्रेनों का परिचालन अब धीरे-धीरे शुरू हो रहा
आलोक कंसल ने कहा कि यात्री ट्रेनों का परिचालन अब धीरे-धीरे शुरू हो रहा है। इससे पश्चिम रेलवे के राजस्व में बढ़ने की उम्मीद है। पिछले 11 महीनों के दौरान, पश्चिम रेलवे ने अपनी 300 यात्री ट्रेनों में से 145 को धीरे-धीरे फिर से शुरू किया है। लगभग 50 प्रतिशत यात्री ट्रेनें फिर से शुरू हो गई हैं। अगले सात दिनों में मध्य प्रदेश में छह और ट्रेनों का संचालन शुरू होगा।
कोरोना दिशानिर्देशों के मद्देनजर स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं
कंसल ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में कोरोना दिशानिर्देशों के मद्देनजर पश्चिम रेलवे अपनी यात्री ट्रेनों को विशेष ट्रेनों के रूप में चला रहा है। केवल कंफर्म टिकट वाले यात्रियों को ही यात्रा करने की अनुमति है। पिछले साल कोरोना लॉकडाउन के दौरान, पश्चिमी रेलवे ने एक मई से 31 मई तक 1,234 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाईं। इन ट्रेनों ने विभिन्न राज्यों में लगभग 19 लाख लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया।