आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर
13 फरवरी।रबी की मुख्य फसल गेंहू में पीला रतुआ रोग के नियंत्रण से गेंहू का उत्पादन बढ़ाने के लिए इस बीमारी के लक्ष्णों के बारे में किसानों को जागरूक होना आवश्यक है। यह बात उप निदेशक कृषि कुलदीप पटियाल ने कहते हुए बताया कि गेंहू के पौधों के भागों जैसे पत्तियां, तना व बाली आदि में पीला रतुआ रोग के संक्रमण को देखा जा सकता है, यह पीले रंग की धारी पत्तों की नसों के समानांतर चलने वाली धारियां होती है। शुरूआत में पत्तों की ऊपरी सतह पर पीले रंग की धारियां देखने को मिलती है, जो धीरे-धीरे पूरे पत्ते को पीला कर देती है। उन्होंने बताया कि इसका पीला पाउडर जमीन पर पड़ा भी देखा जा सकता है। गेंहू के पौधे पर हाथ लगाने से पीले रंग का पाउडर हाथ पर भी लग जाता है। शुरू में यह रोग 10-15 पौधों से एक गोल दायरे के रूप में शुरू होता है और फिर यह बढ़ता चला जाता है।
उन्होंने बताया कि इसके नियंत्रण के लिए टिल्ट नामक दवाई 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें, ताकि गेंहू की फसल को पीला रतुआ रोग से बचाया जा सके।
उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि विशेषकर पेड़ों के आस-पास तथा नीचे उगाई गई गेंहू की फसल का नियमित निरीक्षण करें तथा पीला रतुआ रोग के लक्षण दिखाई देने पर इसकी जानकारी नजदीक के कृषि प्रसार अधिकारी को दें ताकि सही समय पर पीला रतुआ रोग बीमारी का निदान किया जा सके।