आवाज़ ए हिमाचल
25 मार्च। कोरोना संकट के बीच हिमाचल प्रदेश के बैंकों का एनपीए (नॉन परफार्मिंग असेट्स) 710.58 करोड़ रुपये तक बढ़ गया। जून 2020 में प्रदेश के बैंकों का एनपीए 3551.53 करोड़ रिकॉर्ड हुआ था। तीन तिमाही के बाद यह आंकड़ा 4262.11 करोड़ पहुंच गया। प्रदेश के बैंकों का एनपीए 7.47 फीसदी हो गया है। अप्रैल से दिसंबर 2020 के बीच की तीन तिमाही में कम ऋण वसूली ने बैंकर्स की चिंता बढ़ा दी है।
राज्य सहकारी बैंकों का एनपीए 3.42 फीसदी बढ़ा। सबसे खराब हालत कांगड़ा केंद्रीय सहकारी (केसीसी) बैंक की है। इस बैंक का एनपीए नौ माह में 8.06 फीसदी बढ़ा। राजधानी शिमला में हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 159वीं बैठक में यह खुलासा हुआ। कोरोना से बचाव के लिए प्रदेश में 22 मार्च, 2020 को जनता कर्फ्यू लगने के साथ ही लॉकडाउन लग गया था। जून 2020 तक हालात ज्यादा खराब थे। काम-धंधे बंद होने से लोगों को बैंकों का ऋण चुकाना मुश्किल हो गया।
जुलाई के बाद हालात कुछ सामान्य हुए, लेकिन वित्तीय हालात पटरी पर नहीं लौटे, जिसके चलते बैंकों के एनपीए में बढ़ोतरी दर्ज हुई है। केसीसी बैंक, कृषि ग्रामीण विकास बैंक, जोगिंद्रा केंद्रीय सहकारी बैंक का एनपीए बढ़ गया। तीनों बैंकों पर ग्रेडिंग गिरने का खतरा मंडराना शुरू हो गया। सहकारी बैंकों की एनपीए राशि 2075 करोड़ पहुंच गई है। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की ओर से जारी यह आंकड़े ऋण वसूलने में नाकाम रहने वाले बैंकों के लिए अलार्मिंग हैं। बैंकों को रिजर्व बैंक इंडिया की कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
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