हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् के प्रतिनिधि आपदा राहत हेतु सरकार को देंगे अंशदान

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ज्वालामुखी में आयोजित बैठक में लिया गया निर्णय

 

 

आवाज ए हिमाचल 

ज्वालामुखी। ज्वालामुखी हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् की द्विदिवसीय प्रान्तयोजना गोष्ठी एवं अभ्यास वर्ग श्री मां संस्कृत महाविद्यालय ज्वालामुखी में रविवार को सम्पन्न हुआ, जिसमें मुख्य रूप से दायित्व बोध, पूर्व कार्यों की समीक्षा, किए गए कार्यों की कार्योत्तर स्वीकृति तथा आगामी योजना पर चर्चा की गई। अभ्यास वर्ग में सभी पदाधिकारियों को परिषद् के परामर्शक डॉ सेवक राम शर्मा ने जीवन में संगठन का महत्व तथा दायित्व की उपयोगिता पर बौद्धिक प्रकाश डाला। गोष्ठी में सर्वप्रथम सभी प्रतिनिधियों ने एकमत से यह निर्णय लिया कि प्रदेश में आई आपदा बहुत बड़ी है और इस मुश्किल घड़ी में हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् सरकार के साथ खड़ी हैं। अतः सभी प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए अपना अंशदान सरकार को देने का निर्णय लिया। इसके साथ यह निर्णय लिया गया कि हिमाचल में सेवारत संस्कृत शिक्षक प्रतिभा सम्पन्न हैं तथा अपने क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रहे हैं। इन शिक्षकों को एक मंच पर लाकर उनकी प्रतिभा को समाज में लाकर उन्हें सम्मान प्रदान करना चाहिए। इसलिए परिषद् संस्कृत सप्ताह के अवसर पर संस्कृत सम्मेलन का आयोजन कर इन प्रतिभाओं को सम्मानित करेगी, जिसके चयन के लिए वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ सुशील शर्मा की अध्यक्षता में एक उपसमिति बनाई जायेगी। बैठक की अध्यक्षता प्रदेशाध्यक्ष डॉ मनोज शैल ने की। बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि जब शास्त्री एवं भाषाध्यापकों को टीजीटी पदनाम प्रदान कर दिया गया है तो अब पदोन्नति का लाभ भी मिलना चाहिए। इसके लिए सर्वप्रथम भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में संशोधन किया जाना अपेक्षित है। अतः शिक्षा विभाग से अनुरोध है कि वे शास्त्री एवं भाषाध्यापकों के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में संशोधन कर उसमें भी टीजीटी संस्कृत एवं टीजीटी हिन्दी नाम जोड़ने की प्रक्रिया यथाशीघ्र की जाए। इसके साथ जिला की निष्क्रिय कार्यकारिणियों को सक्रिय करने के लिए संगठन मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई जो इस पर निर्णय लेगी। इसके साथ बैठक में उपस्थित सदस्यों ने प्रदेश सरकार से मांग रखी कि कक्षा बारहवीं तक संस्कृत विषय प्रत्येक विद्यालय में दिया जाए। जिसके लिए प्रथम चरण में प्रदेश में जितने भी डिग्री कॉलेज तथा संस्कृत कालेज हैं उनके 10 कि.मी.की परिधि में जितने भी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हैं उनमें संस्कृत विषय शुरू किया जाए। जिससे महाविद्यालयों में भी संस्कृत की उच्च शिक्षा पाने की इच्छा वाले छात्र लाभान्वित हो सकें। क्योंकि महाविद्यालयों में संस्कृत विषय है । लेकिन विद्यालयों में न होने से छात्र इससे वंचित रह जाते हैं।

इसके साथ ही सभी प्रतिनिधियों ने श्री मां संस्कृत महाविद्यालय ज्वालामुखी में शिक्षकों के रिक्त पदों पर भी चिंता जताई और मन्दिर न्यास से आग्रह किया कि संस्कृत महाविद्यालय में केवल एक प्राचार्य और दो आचार्य हैं, अतः छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए दो पद संस्कृत के और दो पद आधुनिक विषयों के यथाशीघ्र भरे जायें। जिससे यहां अध्ययनरत छात्रों का पलायन न हो बल्कि उनकी संख्या में वृद्धि हो।

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इस अवसर पर प्रदेश महासचिव डॉ अमित कुमार शर्मा, कोषाध्यक्ष सोहन लाल, हमीरपुर के अध्यक्ष आचार्य नरेश मलोटिया, कांगड़ा के अध्यक्ष डॉ अमनदीप शर्मा, मंडी के अध्यक्ष लोकपाल शर्मा, सोलन के अध्यक्ष कमलकांत, कांगड़ा महासचिव पुनीत, कोषाध्यक्ष अमर सिंह, मीडिया प्रभारी कुंदन शर्मा सहित राज्य एवं जिला के सभी पदाधिकारी उपस्थित रहे।

 

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