आवाज़ ए हिमाचल
11 अक्तूबर। देश में कोयला आधारित बिजली संयंत्र ठप होने से बढ़े बिजली संकट की चपेट में हिमाचल भी आ सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पावर सरप्लस हिमाचल के पास वर्तमान में हाइड्रो सेक्टर में भी उत्पादन गिरा है। दूसरी ओर थर्मल प्लांट से आने वाले राज्य के शेयर की बिजली भी नहीं आ रही। लोड शेडिंग का तुरंत कोई खतरा नहीं है।
ऊर्जा राज्य हिमाचल में वर्तमान में करीब 11000 मेगावाट बिजली का ही दोहन किया जा रहा है। इनमें से बोर्ड के पास 487 मेगावाट, पावर कारपोरेशन के पास 265 मेगावाट, केंद्रीय और संयुक्त क्षेत्र में सबसे ज्यादा 7500 मेगावाट, हिमऊर्जा के पास 315 मेगावाट, स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादकों के पास 2010 मेगावाट और राज्य के हिस्से के 160 मेगावाट के प्रोजेक्ट हैं।
राज्य के पास इसी वर्ष अगस्त और सितंबर में, बरसात में नदियों में पानी होने के कारण अधिकतम प्रतिदिन 630 लाख यूनिट बिजली थी, लेकिन अब यह सिर्फ 396 लाख यूनिट है। इसलिए उत्पादन पहले ही कम है, क्योंकि नदियों में पानी का स्तर गिर रहा है। स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर में नौ अक्तूबर को कुल 396 लाख यूनिट बिजली थी।