आवाज़ ए हिमाचल
शिमला, 24 मार्च। पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2022-23 से मत्स्य विभाग प्रदेश में मछली आयात के परमिट केवल पंजीकृत ठेकेदारों को देगा। प्रदेश के 5,500 से अधिक मछुआरों की रोजी-रोटी पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। प्रदेश के सभी जलाशयों के मछुआरों के हितों को ध्यान में रखते हुए और उनके रोजगार क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के दृष्टिगत वित्तीय वर्ष 2022- 23 से प्रदेश के सभी जिलों में मछली आयात को आंशिक प्रतिबंध लगेगा।
मत्स्य विभाग से मछली आयात का परमिट लेने के सभी नियम सख्त होंगे। मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लगभग 10 हजार परिवार मत्स्य पालन व्यवसाय से जुडे़ हैं। प्रदेश के मुख्य जलाशय महाराणा प्रताप पौंग डैम और गोबिंद सागर जलाशय से लगभग 5,500 परिवार मछली पकड़ने के व्यवसाय से सीधे तौर पर जुड़े हैं।
वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न जिलों से मछली आयात के परमिट के लिए आवेदन विभाग के पास पहुंचते हैं। विभाग आवेदनकर्ताओं की मांग अनुसार मछली आयात का परमिट उस वित्तीय वर्ष के लिए उनके पक्ष में जारी करता है। इससे प्रदेश के मछुआरों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है और मत्स्य विभाग का राजस्व भी प्रभावित हो रहा है।
परमिट प्राप्त होने पर लोग बाहरी राज्यों से कोल्ड स्टोर में रखी पुरानी मछली लाकर कम दामों पर बेच रहे हैं। कंवर ने कहा कि प्रदेश में अच्छी प्रजातियां उपलब्ध होने के बावजूद मछली के अच्छे दाम बाजार में नहीं मिल रहे हैं। इसका मुख्य कारण प्रदेश में अधिक मात्रा में नियमित रूप से मछली का आयात किया जाना है।