64 हाई डिस्क और 12 मोबाइल कब्जे में, लाखों युवाओं का भविष्य भी अधर में
आवाज़ ए हिमाचल
शिमला, 30 अप्रैल। मानव भारती विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों को 36 ऐसे कोर्स करवा दिए, जिनकी विश्वविद्यालय के पास मान्यता ही नहीं थी। यानी फर्जी तरीके से करवाए गए इन कोर्सों की हजारों फर्जी डिग्रियां देश भर में बची गईं और इससे लाखों रुपये कमाए गए। विवि प्रबंधन ने ऐसे कोर्स करवाने की निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग को भी जानकारी नहीं दी थी।
पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) को इसके पुख्ता सबूत मिले हैं। एसआईटी की अब तक की जांच में करीब 41,000 फर्जी डिग्रियां मिली हैं। पुलिस इस मामले में अभी तक 80 फीसदी जांच पूरी कर चुकी है। अब एसआईटी जल्द विश्वविद्यालय के खिलाफ तीसरी व अंतिम चार्जशीट कोर्ट में पेश करेगी। इसमें आरोपियों का विस्तृत उल्लेख किया गया है। विश्वविद्यालय में कार्यरत कर्मचारी, अकाउंट्स स्टाफ, एजेंट और सहयोगी चार्जशीट में नामजद होंगे। एसआईटी के पास इन आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने भी आरोपियों की संपत्तियों को अटैच किया है।
विश्वविद्यालय ने लाखों युवाओं के भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिया है। हालत यह है कि युवा जहां सरकारी या निजी कंपनी में नौकरी कर रहे हैं, विवि से हासिल डिग्री के चलते उनकी नौकरी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। बीते दिनों पुलिस मुख्यालय में करीब 500 युवाओं ने अपने भविष्य को लेकर इस बारे में शिकायत की है।
पुलिस ने विश्वविद्यालय के 64 हार्ड डिस्क और 12 मोबाइल फ ोन कब्जे में लेकर जुन्गा प्रयोगशाला जांच को भेजे थे। इसमें पता चला है कि विवि के मालिक राज कुमार राणा और मानव भारती चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम से जिला सिरमौर में खरीदी गई 115.02 बीघा जमीन और सोलन जिले के लाडो सुल्तानपुर में 35.4 बीघा संपत्ति को प्रशासन ने राजस्व रिकॉर्ड में रेड एंट्री दर्ज करवाई है। राणा के परिवार के लोगों के बैंक खातों और ट्रस्ट के खातों की जांच की गई है। आरोपी की पत्नी और बेटी जो ऑस्ट्रेलिया में हैं, उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किए गए हैं।