सड़क सुविधा से आज भी महरूम है फकरीड़ा गांव,पालकी में ले जाने पड़ते है मरीज

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आवाज़ ए हिमाचल

अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर
27 जनवरी।देश जहां हर्षोल्लास से 73वां गणतंत्र मना रहा है, तथा विकास को गांव-गांव द्वार-द्वार पहंुचाने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन अभी भी सैंकड़ों गांव ऐसे हैं जहां पर सड़क तक नहीं पहंुच पाई है, तो विकास कैसे पहंुच पाएगा। सुशासन की पोल खोलता यह समाचार इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है सड़क के लिए टैंडर भी हो चुके हैं तथा ग्रामीणों द्वारा सड़क के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग को गिफ्ट डीड भी दे दी गई है। ऐसे में राजनेताओं के हाथों होने वाला कार्य नेताओं के चहेतों की हेकड़ी के आगे नहीं हो पा रहा है।

आज भी लोग गर्भवती महिलाओं, बीमार बुजुर्गों को अस्पताल लाने के लिए पालकी या चारपाई का सहारा लेते हैं। गांव के लोग सड़क निर्माण को लेकर राजनेताओं की कई दफा चिरौरी कर चुके हैं लेकिन काम नहीं बन पा रहा है। बुधवार को ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल बिलासपुर पहुचा जहां उन्होंने जल शक्ति, राजस्व, बागवानी और सैनिक कल्याण मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर को करीब दो सौ लोगों के हस्ताक्षर सहित ज्ञापन प्रेषित कर शीघ्र न्याय की मांग की।

वहीं, प्रेस को जारी विज्ञप्ति में पूर्व बीडीसी सदस्य रीठू राम, पूर्व वार्ड सदस्य संत राम, संजय कुमार, शेषराम, चमन लाल, सुनील कुमार, संदीप कुमार, गोपाल दास, भूरा राम, प्यारे लाल, रणजीत कुमार, राज कुमार, विनोद व पवन कुमार आदि ने बताया कि मसला ग्राम पंचायत डोभा के गांव करोट की पालंगरी फकरीड़ा से संबंधित है।

सड़क के लिए गांव फकरीड़ा से पीडब्ल्यूडी के नाम गिफ्ट डीड हो चुकी है जबकि टैंडर राप्रापा करोट तक हो चुका है। सड़क पर पुल का निमार्ण भी हुआ है। इस सड़क का शिलान्यास पूर्व विधायक रणधीर शर्मा द्वारा 27 नवंबर 2021 किया जा चुका है। लेकिन एक दो लोगों द्वारा इस कार्य में बाधा उत्पन्न की जा रही है। जिससे ग्रामीणों को भारी दिक्कतों से गुजरना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि पुल से आगे करीब तीन किलोमीटर का रास्ता सड़क बनने की बाट टोह रहा है। उन्होंने बताया कि जब गांव में किसी बीमार बुजुर्ग या गर्भवती महिला को स्वास्थ्य केंद्र तक पहंुचाना हो तो सड़क तक पालकी के सहारे बड़ी मशक्कत के बाद पहंुचाया जाता है।

उन्होंने बताया कि एक-दो हादसे ऐसे भी हो चुके हैं कि स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने से पहले की गर्भ में पल रहे शिशु की मृत्यु हो चुकी है। बच्चों को स्कूल व कालेज तथा अन्य कार्यों के लिए जाने के लिए तीन से पांच किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता है। जंगली रास्तों में हर समय जानवरों का भय भी बना रहता है। उन्होंने कहा कि यदि सड़क निर्माण हो जाता है तो एक हजार की आबादी की इस पालंगरी को लाभ होगा। ग्रामीणों ने जल शक्ति, राजस्व, बागवानी व सैनिक कल्याण मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर से आग्रह किया है कि वे इस मामले में व्यक्तिगत रूचि दिखाकर दशकों से सड़क सुविधा के लिए तरस रहे ग्रामीणों को राहत पहंुचाने में मदद करें।

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