11 फरवरी।ग्रामीण संसद चुनाव में भाजपा कांगड़ा में भगवा लहराने में कामयाब रही है। हालांकि कुछ स्थानों पर कांग्रेस के हाथ भी मजबूत हुए हैं, लेकिन ऐसे स्थानों पर भाजपा अपनी ही गलतियों के कारण हारी है। जिला परिषद सहित पंचायत समिति के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पदों में भाजपा के ही चेहरे काबिज हुए हैं। पंचायती राज चुनाव में कांग्रेस काे मिली हार को लेकर अब मंथन होगा कि कहां पर कमियां रह गईं, जिस कारण वह बुरी तरह से पिछड़ गए। इन चुनाव से पहले कांग्रेस के नेताओं के यह दावे भी रहे थे कि ग्रामीण संसद में वह जिलेभर में अपना परचम लहराएगी। लेकिन हुआ इससे उल्ट ही। भाजपा कहीं आगे निकल गई और कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा।वहीं जिला परिषद में कांग्रेस अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थी और उसने भाजपा को पीछे धकेलने की कोशिश भी की। लेकिन यहां पर उसे सफलता नहीं मिल पाई। अब कांग्रेस किसान आंदोलन के बहाने जिला में एकजुटता तो दिखा रही है, लेकिन यहां पर उसे कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिल पाई है। इस सब के बीच अब कांग्रेस जिला कांगड़ा में अपनी हार को लेकर चिंतन मंथन भी करेगी।
जिलास्तर पर शीघ्र ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठकें होंगी और मंथन इस बात को लेकर भी होगा कि कहां पर क्या खामियां रहीं, जिससे उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस का मंथन इस लिहाज से भी जरूरी है कि वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव भी आने वाले हैं और जो हालात ग्रामीण संसद के चुनावों में उसकी हुई है, उसका असर भी विधानसभा के चुनावों में पड़ सकता है। लेकिन इससे पहले कांग्रेस के लिए नगर निगम धर्मशाला व पालमपुर के चुनावों की चुनौती भी सामने है। इन्हीं कुछ बातों को लेकर भी चर्चा भी प्रस्तावित है।