आवाज़ ए हिमाचल
22 नवंबर। प्रदेश की सड़कें गड्ढों में तबदील हो रही हैं। सड़कों को बचाने में बजट बड़ा अवरोध बन गया है। प्रदेश भर में विभाग को इन सड़कों की टायरिंग और पैचवर्क के लिए करीब 675 करोड़ रुपए की जरूरत है, जबकि विभाग को राज्य सरकार से करीब 350 करोड़ रुपए ही पारित हुए हैं। प्रदेश में करीब 22 हजार किलोमीटर पक्की सड़कें हैं। इन सड़कों को 5 साल बाद रिपेयर की जरूरत पड़ती है। विभाग ने सरकार को इन सड़कों की रिपेयर के लिए करीब,
15 लाख रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से बजट का प्रस्ताव भेजा है। बजट हर साल करीब साढ़े चार हजार किलोमीटर तक की पक्की सड़कों के रखरखाव को लेकर बनाया गया है। कुल सालाना बजट 675 करोड़ रुपए की जरूरत है। हर साल विभाग के लिए करीब 325 करोड़ रुपए का बैकलॉग तैयार हो रहा है और यह लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे प्रदेश भर में सड़कों की हालत खस्ता हो रही है। एक सड़क का निर्माण,
5 साल की गारंटी पर किया जाता है, लेकिन प्रदेश में बरसात के ज्यादा होने, खराब गुणवत्ता की सामग्री का इस्तेमाल करने और वाहनों की आवाजाही में बढ़ोतरी की वजह से ज्यादातर सड़कें अपना गारंटी पीरियड पूरा नहीं कर पाती हैं। इन सड़कों में पांच साल से पहले ही गड्ढे पड़ने शुरू हो जाते हैं। बहरहाल, लोक निर्माण विभाग के इन सड़कों के रखरखाव के लिए अरबों के बजट की जरूरत है, जो फिलहाल नहीं मिल पा रहा है।