11 फरवरी।पेंशन बहाली पर सयुंक्त मोर्चा हिमाचल प्रदेश ने दो टूक बोल दिया है कि जल्द से जल्द विधायकों व सांसदों की पुरानी पेंशन बंद की जाए। मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने कहा कि समानता के अधिकार की रक्षा करते हुए पुरानी पेंशन विधायकों व सांसदों के लिए भी बंद होनी चाहिए।क्योंकि राजनीति में प्रवेश करने वाला हर व्यक्ति समाज सेवक होता है और यह कहीं भी लिखित नहीं है कि समाज सेवक वेतन भत्तों के साथ समाज सेवा छोड़ने पर मोटी पेशने भी लें।कर्मचारी जो कि पुरानी पेंशन से बंचित हैं अब वे चाहते है कि पुरानी पेंशन सांसदों व विधायकों के लिए भी बंद होनी चाहिए क्योंकि कर्मचारियों की पेंशन बंद करने वाले खुद समाज सेवक ही हैं तो फिर समाज सेवकों को भी एक देश एक विधान के तहत सोचना चाहिए और जिस पेंशन को कर्मचारियों से छीना गया है उसे खुद के लिए भी बंद करें।
मोर्चा अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने कहा कि कर्मचारी हर हालात में जी लेते है परंतु यह नहीं देखा जाता कि अधिकारों को छीनने वाले खुद उन्हें अपने ऊपर लागू करें। जब एनपीएस सिस्टम हमारे समाज सेवकों को भाया है तो वे भी इसी सिस्टम के तहत बुढ़ापे में पेंशन लें ताकि रिटायर बूढ़े कर्मचारियों की दुर्दशा का पता चल सके। कहा कि अगर देश को एक सूत्र में पिरोना है तो संसद में लोगो के अहित में बने कानूनों को समाजसेवक पहले अपने ऊपर लागू करें।आज हर वर्ग का कर्मी पीड़ित है परन्तु उसकी पीड़ा समाज सेवकों को नही दिखती क्योंकि उन्होंने यह पीड़ा सही नही होती है। हम भारत की सरकार से मांग करते है कि जल्द से जल्द समाज सेवको के लिए पुरानी पेंशन योजना बन्द हो। समाज सेवक वेतन भत्ते लेते है तो उन्हें भी इनकम टैक्स के दायरे में लाया जाए ताकि टैक्स के रूप में एकत्रित पैसा बेरोजगार लोगों व पीड़ित कर्मियों को राहत पहुंचाने में प्रयोग किया जाए। अगर अभी भी समानता के अधिकार की रक्षा नही हुई तो पूरे देश के कर्मचारी किसानों की तर्ज पर आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।