आवाज ए हिमाचल
02 फरवरी। कृषि सुधारों पर भले ही कुछ किसान संगठन नाराज होकर दिल्ली की सीमा पर मोर्चा जमाए बैठे हों, लेकिन आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया का इन सुधारों से न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रभावित होगी और न ही उपज की सरकारी खरीद। किसानों के हित में ये दोनों प्रणाली जैसे चल रही थी वैसे ही जारी रहेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसके प्रभावों का जिक्र भी अपने बजट भाषण में विस्तार से किया। इससे यह भी साफ हो गया कि कृषि सुधार को मजबूती से लागू किया जाएगा। केंद्र में सत्तारूढ़ राजग सरकार के कार्यकाल के दौरान एमएसपी पर हुई सरकारी खरीद का ब्योरा भी बजट भाषण का हिस्सा था। आम बजट में जहां माइक्रो इरिगेशन को तरजीह दी गई है, वहीं ऑपरेशन ग्रीन का दायरा बढ़ाकर उसमें 22 और जिंसों को शामिल कर लिया गया है।
गेहूं, धान, दलहन और कपास की उपज की साल दर साल सरकारी खरीद के मामले में राजग सरकार का प्रदर्शन पिछली संप्रग सरकार के मुकाबले बहुत अच्छा है। गेहूं खरीद वर्ष 2013 में जहां 33,874 करोड़ रुपये की हुई तो वहीं वर्ष 2019-20 में लगभग दोगुना बढ़कर 62,802 करोड़ रुपये हो गया। जबकि वर्ष 2020-21 में गेहूं किसानों को उनकी उपज का 75 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की प्राप्ति हुई।
2020-21 में धान खरीद की धनराशि 1.73 लाख करोड़ रुपये तक होने का अनुमान
इसी तरह धान की खरीद वर्ष 2013-14 में संप्रग कार्यकाल के दौरान 63,928 करोड़ रुपये की हुई। जबकि वर्ष 2019-20 में राजग कार्यकाल में धान खरीद की यह धनराशि 1.42 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में जोर देकर कहा कि वर्ष 2020-21 में धान खरीद की यह धनराशि 1.73 लाख करोड़ रुपये तक होने का अनुमान है। खरीद का यह लाभ 1.54 करोड़ किसानों को मिला है।