आवाज़ ए हिमाचल
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह रीजनल रैपिड ट्रांसिट सिस्टम (आरआरटीएस) प्रोजेक्ट के लिए फंड देने में सक्षम नहीं है। दिल्ली सरकार ने कहा कि उनके पास फंड की कमी है और ऐसे में वह आरआरटीएस प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन के लिए पैसे नहीं दे सकते हैं। इस जवाब से असंतुष्ट सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि हमें दो हफ्ते की भीतर बताइए कि आपने पिछले तीन साल में विज्ञापनों पर कितना खर्च किया है। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बैंच ने दिल्ली सरकार से कहा कि दो हफ्ते में एक एफिडेविट फाइल करिए। इसमें पिछले तीन वित्त वर्षों के दौरान विज्ञापनों पर किए गए खर्च की डिटेल होनी चाहिए। बैंच ने कहा कि आप चाहते हैं कि हम यह देखें कि आपने किस फंड का इस्तेमाल कहां किया है। विज्ञापन के लिए रखा गया हर फंड इस प्रोजेक्ट में लगाया जाना चाहिए। क्या आप इस तरह का आदेश चाहते हैं? आप ही ऐसा करने को कह रहे हैं। यह राष्ट्रीय महत्त्व वाला प्रोजेक्ट है।
गौरतलब है कि आरआरटीएस प्रोजेक्ट के जरिए दिल्ली को राजस्थान और हरियाणा से जोड़ा जाना है। इसके तहत हाईस्पीड कम्प्यूटर बेस्ड रेलवे सर्विस दी जाएगी। रैपिड रीजनल ट्रांजिट सिस्टम के जरिए नॉन-पीक टाइम में माल ढुलाई की योजना है। रैपिड रेल रैपिडैक्स 180 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलेगी। जब रैपिडैक्स में भीड़ कम रहेगी, तब उसे कार्गो पहुंचाने में यूज किया जाएगा। यह सर्विस मेट्रो सर्विस से अलग होगी। मेट्रो में स्पीड कम और स्टॉपेज ज्यादा होते हैं। रैपिडैक्स में स्पीड ज्यादा और स्टॉपेज कम होंगे। इससे एनसीआर में ट्रैफिक और पॉल्यूशन में भी कमी आएगी। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम के आरआरटीएस के तीन रैपिड-रेल कॉरिडोर बनने हैं। इनमें से एक आरआरटीएस दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ को जोडऩे वाला एक 82.15 किलोमीटर लंबा, रेल कॉरिडोर है। इसके पूरा होने के बाद दिल्ली और मेरठ के बीच की दूरी 60 मिनट से कम समय में पूरी हो सकेगी। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 3,749 मिलियन डालर है।