आवाज ए हिमाचल
शिमला। हिमाचल प्रदेश में मछली पालन की अपार संभावनाओं को देखते हुए हिमाचल सरकार प्रदेश के किसानों को मछली पालन की ट्रेनिंग देगी। इसके लिए ऊना जिला के गगरेट में पांच करोड़ रुपए की लागत से कॉर्प फार्म स्थापित किया जाएगा। इस केंद्र में हर साल 600 मछुआरों को प्रशिक्षित किया जाएगा। राज्य के मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले नदी की मछलियों पर आश्रित मछुआरों को 1000 फेंकवा जाल उपदान पर प्रदान किए जाएंगे। वर्तमान वित्त वर्ष में निजी क्षेत्र में 20 हेक्टेयर नए मत्स्य तालाबों का निर्माण किया जाएगा। मत्स्य पालन के माध्यम से राज्य सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए मत्स्य तालाबों के निर्माण पर 80 प्रतिशत अनुदान देने का निर्णय लिया है। मत्स्य क्षेत्र की क्षमता बढ़ाने के लिए 120 नई ट्राउट इकाइयों का निर्माण किया जाएगा।
मत्स्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में महत्त्वाकांक्षी इंडो-नॉरविजियन ट्राउट पालन परियोजना के सफल कार्यान्वयन ने विकसित तकनीकों के उपयोग से प्रदेश के लोगों की जल संसाधनों के उपयोग में रुचि पैदा की हैै।
गोबिंदसागर, पौंग बांध, चमेरा और रणजीत सागर बांध में महत्त्वपूर्ण मछली प्रजातियों के पालन और उत्पादन से स्थानीय लोगों को अपनी आर्थिकी सुदृढ़ करने के अवसर प्राप्त हो रहे हैं। राज्य सरकार बैकयार्ड फिश फार्मिंग, केज कल्चर, री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम और अन्य तकनीक आधारित मत्स्य पालन को बढ़ावा देकर मछुआरों की आय बढ़ाने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार कर रही है।
गौरतलब है कि जैव विविधता के दृष्टिगत मत्स्य क्षेत्र में रोजग़ार व स्वरोजग़ार की अपार संभावनाएं हैं। प्रदेश में बहने वाली बारहमासी नदियों ब्यास, सतलुज और रावी में कई धाराएं और कई सहायक नदियां समाहित होती हैं। ये नदियां शिजोथोरैक्स, गोल्डन महाशीर और विदेशी ट्राउट जैसी मछलियों की कई प्रजातियों की आश्रय स्थली हैं।