आवाज़ ए हिमाचल
जतिन लटावा,जोगिंद्र नगर
01 जुलाई । जोगिंदर नगर के समीप ग्राम पंचायत दारट बगला व टिकरू के मध्य स्थित रणा खड्ड में मानक पावर सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा बनाए जा रहे मिनी हाइडल प्रोजेक्ट ‘रणा प्रोजेक्ट’ के प्रभावित किसानों की बैठक आज प्रोजेक्ट स्थल पर आयोजित की गई, जिस में प्रभावित किसानों के विशेष बुलावे पर हिमाचल किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष कुशाल भारद्वाज ने भी हिस्सा लिया। इस बैठक में जिला परिषद सदस्य विजय भाटिया, ग्राम पंचायत दारट बगला के उप प्रधान संतोष कुमार, पूर्व प्रधान नारायण सिंह,रत्न चंद ठाकुर, जितेंद्र सिंह, जगदीश चंद, कमल प्रकाश, ज्योति प्रकाश, रत्न लाल, सुरेश कुमार, पूर्ण चंद सहित बड़ी संख्या में प्रभावित किसान भी उपस्थित थे। इस दौरान कंपनी प्रबंधन की तरफ से निर्देशक होशियार सिंह भी उपस्थित हुए। इस दौरान प्रभावित किसानों ने खुल कर अपना पक्ष रखा तथा बताया कि कई साल पहले उनसे जमीन लीज़ पर ली गई,लेकिन उसका पैसा भी उनको नहीं दिया जा रहा है, किसी ने ज्यादा ही मांग की तो कंपनी ने 8 साल में एक बार 4 हजार या 5 हजार रूपये का मुआवजा प्रभावितों को थमा दिया। निर्माण कार्य से सारी कूहलें नष्ट हो चुकी हैं, रास्ते चलने लायक नहीं रहे, सड़क भी बंद हो गई है तथा खेतों में मकिंग फेंकी गई है जिससे खेत और घासनियाँ भी तबाह हो गई हैं। कंपनी प्रबंधन न तो मुआवजा दे रहे हैं, न लीज़ का पैसा दे रहे हैं, न कूहलों को ठीक करने को तैयार हैं और न ही रास्तों और सड़क की मुरम्मत के लिए तैयार हैं। जिला परिषद सदस्य विजय भाटिया ने भी किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया।
इस अवसर पर किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष कुशाल भारद्वाज ने दारट बगला पंचायत के उप प्रधान संतोष कुमार, पूर्व प्रधान नारायण सिंह व अन्य प्रभावितों के साथ खेतों व घासनियों, कूहलों, घराटों, शमशानघाट, निर्माणाधीन नहर तथा जहां से गुगली खड्ड के बहाव को मोड़ा गया है,उस स्थल का भी दौरा किया तथा कंपनी प्रबंधन को स्पष्ट तौर पर बता दिया कि प्रभावित किसानों से किए वायदों पर अमल किए बिना तथा उनके नुकसान की भरपाई किए बिना ही यदि प्रोजेक्ट शुरू करना चाहते है तो ऐसा सोचना भी नहीं, क्योंकि जब तक किसानों के नुकसान की भरपाई नही की तब तक इस प्रोजेक्ट को नहीं बनने दिया जाएगा। कुशाल भारद्वाज ने सभी साइटों का दौरा करने के बाद बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि प्रोजेक्ट के लिए रणा खड्ड के पानी को डाइवर्ट करने और सरकारी भूमि के इस्तेमाल की मंजूरी ली गई थी। लेकिन गूगली खड्ड के पानी को मोड़ने और वहाँ 200 मीटर के दायरे में वन विभाग की जमीन पर नहर निकालने, हरे-भरे चीड़ के पेड़ काटने की स्वीकृति कहाँ से ली गई है। बड़ा सवाल यह है कि गांवों में 100 मीटर अंबुलेंस रोड़ का निर्माण रोकने के लिए तो वन विभाग कभी भी आ धमकता है, लेकिन कंपनी प्रबंधन के आगे व विभाग कैसे नतमस्तक हो गया। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों से मांग की कि वे तुरंत स्पॉट विज़िट करें तथा देखें कि कंपनी ने जो नहर निकाली है क्या उसकी तथा पेड़ों को काटने की अनुमति ली थी।
उन्होंने कंपनी प्रबंधन को स्पष्ट कर दिया कि जिन भी किसानों की जमीन सड़क निर्माण हेतु या नहर निर्माण हेतु ली गई है उसका शीघ्र उचित मुआवजा दिया जाये, जब से किसी भी कैसा की जमीन को लीज़ पर लिया गया है, तब से ही उनको हर साल का लीज़ का पैसा दिया जाये तथा जब उस जमीन की जरूरत नहीं होगी तो उसको समतल बना कर तथा खेती योग्य बना कर दें। उन्होंने कहा कि नहर लगभग तैयार ही हो चुककि है, इसलिए प्रोजेक्ट के बनने से पहले क्षतिग्रस्त कूहलों को पूरी तरह से ठीक किया जाये तथा ये काम जल्दी ही शुरू किया जाये, जो घराट या मशीनें प्रोजेक्ट निर्माण से खत्म हुए हैं उनका भी उचित मुआवजा दिया जाये, शमशानघाट के एक शेड का जो नुकसान हुआ है उसको पुनः निर्मित किया जाये तथा शमशानघाट की जो सड़क नहर निर्माण के मलबे से बंद हुई है उस सड़क को पुनः निर्मित किया जाये। पैदल आने जाने के जो रास्ते बंद हुए उनको खोला जाये तथा जो ट्रैक्टर सड़क लोगों के खेतों को जाती थी तथा नहर के निर्माण से वह बंद हो गई है। अतः नहर के ऊपर पहले ट्रैक्टर योग्य पुलिया का निर्माण किया जाये तभी नहर के निर्माण का कार्य आगे बढ़ाया जाये।
कंपनी के निर्देशक ने वैसे तो मौखिक रूप से सभी मांगों को पूरा करने का वादा किया लेकिन कुशाल भारद्वाज ने स्पष्ट किया कि मौखिक कोई सम्झौता नहीं होता है। इसलिए बेशक एक दिन और ले लो लेकिन लिखित में ही प्रभावितों के साथ समझौता किया जाये। कंपनी प्रबंधन ने ये भी माना कि नहर के निर्माण से बंद हुई सड़क के ऊपर पुल डालने के बाद ही नहर के काम को आगे बढ़ाया जाएगा। तथा खेतों की ओर जाने वाले एक रास्ते को एक दो दिन में ही ठीक कर दिया जाएगा। पंचायत उपप्रधान संतोष कुमार, पूर्व प्रधान नारायण सिंह, रत्न चंद ठाकुर, कमल प्रकाश आदि ने बताया कि जल्दी ही मांगों पर अमल नहीं हुआ तो सभी प्रभावित किसान निर्माण कार्य को पूरी तरह से ठप्प कर देंगे। जल्दी ही किसानों की एक और बैठक आयोजित की जाएगी। कुशाल भारद्वाज ने सभी किसानों को आश्वस्त किया कि इस मुद्दे पर आप अकेले नहीं हैं, यदि जरूरत पड़ी तो जोगिंदर नगर में किसान सभा से जुड़े अन्य हजारों किसान भी प्रभावित किसानों के समर्थन में आंदोलन में कूद पड़ेंगे।