भारत में बढ़ी मांग के चलते कोविशील्ड की उत्पादन क्षमता में आयी कमी

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आवाज़ ए हिमाचल 

08 अप्रैल। टीके सहित प्रतिरक्षात्मक दवाएं बनाने वाली प्रमुख भारतीय निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) कानूनी दांव-पेच से घिरती नजर आ रही है। दरअसल, एसआईआई को ब्रिटिश और स्वीडिश बहुराष्ट्रीय दवा और बायोफर्मासिटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने एक कानूनी नोटिस भेजा है। यह नोटिस कोरोना वैक्सीन की सप्लाई में देरी किए जाने पर भेजी गई है। इधर, एसआईआई ने कोवीशील्ड टीकों का उत्पादन दोगुना करने के लिए भारत सरकार से ग्रांट के रूप में मदद मांगी है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोरोना वैक्सीन को एसआईआई भारत में कोविशील्ड ब्रांड के नाम से बना और बेच रही है। एसआईआई के सीईओ अदार पूनावाला ने मंगलवार को कहा कि कोरोना वैक्सीन की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए करीब 3 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता पड़ेगी। पूनावाला ने एक टीवी चैनल से साक्षात्कार के दौरान कहा, ‘भारत में बढ़ी मांग के चलते कोविशील्ड की उत्पादन क्षमता दबाव में है। कोविशील्ड वैक्सीन ज्यादा मात्रा में बनाने के लिए करीब तीन हजार करोड़ रुपये की जरूरत है। हम भारतीय बाजार में लगभग 150-160 रुपये में वैक्सीन की आपूर्ति कर रहे हैं जबकि वैक्सीन की औसत कीमत लगभग 20 डॉलर (1500 रुपये) है।

मोदी सरकार के अनुरोध पर हम रियायती दरों पर टीका दे रहे हैं। ऐसा नहीं है कि हम मुनाफा नहीं कमा रहे हैं, लेकिन हमें और मुनाफे की जरूरत है, जो फिर से निवेश करने के लिए जरूरी है। पूनावाला ने आगे कहा, तीन हजार करोड़ रुपये कोई छोटी रकम नहीं है। हमने पहले ही हजारों करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं। हमें अपनी क्षमता निर्माण के लिए अन्य नए तरीके तलाशने होंगे।’ उन्होंने कहा कि कंपनी को उम्मीद है कि कोविशील्ड वैक्सीन की उत्पादन क्षमता जून से प्रति माह 11 करोड़ तक बढ़ जाएगी।  पूनावाला ने कहा कि कंपनी प्रति दिन 20 लाख खुराक का उत्पादन कर रही है। उन्होंने कहा,‘हमने अकेले भारत में 10 करोड़ से अधिक खुराक दी हैं और अन्य देशों को लगभग छह करोड़ खुराक का निर्यात किया है।’ सीरम इंस्टीट्यूट के साथ ही अन्य वैक्सीन उत्पादकों ने भी मुनाफा न लेने के लिए सरकार से सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई भी दूसरी वैक्सीन कंपनी इतनी घटी कीमतों पर टीके उपलब्ध नहीं करा रही है। पूनावाला ने एक अन्य साक्षात्कार में कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट अन्य के मुकाबले भारत की अस्थाई जरूरतों को प्राथमिकता दे रहा है। कंपनी वर्तमान में छह से सात करोड़ टीके प्रति माह उत्पादन कर रही है।

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