जनजातीय लोक संस्कृति एवं परंपराओं में अब और तब पर हुई चर्चा
आवाज़ ए हिमाचल
मनीष ठाकुर, भरमौर। जनजातीय गौरव दिवस के चौथे दिन आज लघु सचिवालय पट्टी कार्यालय कक्ष में गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में भरमौर के प्रबुद्ध नागरिकों ने जनजातीय लोक संस्कृति और जनजातीय परंपरा पर आधारित विषयों पर विचार-विमर्श किए।
इस अवसर पर एसडीएम भरमौर आसीम सूद ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष पर इस गोष्ठी के आयोजन का मुख्य उद्देश्य जनजातीय क्षेत्र की परंपराओं, लोक संस्कृति, और रीति-रिवाजों को उजागर करना है। उन्होंने गोष्ठी में भाग ले रहे प्रबुद्ध नागरिकों का धन्यवाद भी किया।
प्रबुद्ध नागरिकों ने अपनी परंपराएं विचार एवं संस्कृति और अनुभव को सांझा किया। चर्चा में लोगों ने कहा कि अब समय के साथ बदल रहे परंपरागत व्यवसाय, खानपान, पहनावे, भाषा- बोलियां और लोकाचार में बदलाव के दृष्टिगत भावी पीढ़ी को इसके संरक्षण और संवर्धन को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी संस्कृति के संवर्धन के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को अपनी जनजातीय संस्कृति से रूबरू होना बेहद जरूरी है ताकि वे अपनी संस्कृति के संवर्धन में अपनी भूमिका निभा सकें ।
सूद ने कहा कि गद्दी समुदाय भगवान शिव के अनुयाई होते हैं, कैलाश पर्वत उनके लिए दोनों और अध्यात्मिक और भौतिक प्रतीक हैं। चर्चा में यह बात भी निकल कर सामने आई कि गद्दी समुदाय के रीति-रिवाजों और परंपराएं अनूठी है। यहां की वेशभूषा, खानपान, पहनावा, लोक संगीत, नृत्य बहुत ही अद्भुत और दर्शनीय हैं। उत्सवों और सामाजिक आयोजनों में लोग बड़े शौक से चोला, चोली, कुरता, साफा, टोपी, लुआंचडी और डोरा पहनते हैं। लोगों ने अधिकारियों का धन्यवाद किया।
बैठक में स्थानीय लोगों ने समुदाय के कुछ गीत अपनी भाषाओं में गुनगुनाए और अपनी खुशी भी जाहिर की। इस दौरान स्थानीय लोग आत्मा राम, परसराम, हरि कृष्ण, विषय वस्तु विशेषज्ञ उद्यान अधिकारी डॉ. आशीष शर्मा, विषय वस्तु विशेषज्ञ कृषि डॉ. करतार डोगरा, बाल विकास अधिकारी सुभाष दियोलिया, तहसीलदार भरमौर अशोक कुमार और कर्मचारी मौजूद रहे।