गोष्ठी में कविताओं और गीतों से बांधा समां
आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। उत्तरी भारत के इतिहास में एक नया प्रयोग किया गया है। इस प्रयोग में हस्तलिखित पत्रिका का विमोचन बिलासपुर में करवाया गया। इस पत्रिका का ओस नाम रखा गया है। इसका विमोचन नालागढ़ से आए वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर रणजोध सिंह ने किया। इस पत्रिका के लिए हिमाचल प्रदेश के सुप्रसिद्ध साहित्यकार रतन चंद निर्झर, रोशन जायसवाल तथा रतन चंद रत्नेश ने अहम भूमिका निभाई है। रविवार को कहलूर साहित्य एवं सांस्कृतिक परिषद बिलासपुर द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में इस पत्रिका का विमोचन किया गया। अभी तक यह पत्रिका का प्रवेश अंक है और इसे अर्धवार्षिक तौर पर निकलने का संकल्प लिया गया है। पत्रिका के बारे में जानकारी देते हुए रतन चंद निर्झर ने बताया कि प्रिंट पत्रिकाओं का प्रचलन काफी चल रहा है लेकिन हस्त लिपि लुप्त होती जा रही है । और इसके चलते ही इस तरह का प्रयोग यह किया गया है इस पत्रिका में कविताएं, लेख, बाल कहानी, लघु कथा तथा चिट्ठी पत्री कालम रखे गए हैं। पत्रिका में हिमाचल प्रदेश तथा बाहर के राज्यों से 23 कवियों ने अपनी रचनाएं हाथ से लिखकर भेजी है जिन्हें वैसे ही प्रकाशित किया गया है।
विमोचन के उपरांत मुख्य अतिथि तथा वरिष्ठ साहित्यकार रणजोध सिंह ने 5100 रुपए की राशि स्वेच्छा से पत्रिका के लिए भेंट की और अन्य साहित्यकारों से भी आग्रह किया कि इस तरह का प्रयोग करने वालों की सहायता करने के लिए तन मन धन से आगे आएं।
इस अवसर पर कवि गोष्ठी का आयोजन भी किया गया। जिसमें भी मुख्य अतिथि की भूमि रणजोध सिंह ने निभाई। जबकि डॉ जयपाल ठाकुर विशिष्ट अतिथि तथा साध्वी अंजलि पंडित ने अध्यक्ष की भूमिका निभाई। इस अवसर पर कवियों ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। कुछ साहित्यकारों ने सुंदर गीत तथा गजलें भी सुनाई जिनकी सभी ने सराहना की।
इन कवियों में राजपूत देवेंद्र, राकेश मिन्हास, अनिल शर्मा नील , सुमन चड्ढा, रामलाल पाठक, रत्न चंद निर्झर, अरुण डोगरा रीतू, सुरेंद्र गुप्ता, डॉक्टर जय महलवाल अहमद खान, हुसैन अली, शिवनाथ, श्याम सहगल, अनीश ठाकुर ,डॉ रितेश गुप्ता, कमांडेंट सुरेंद्र शर्मा, शिवपाल गर्ग, डॉ अनीता शर्मा ,नरेंद्र दत्त शर्मा, गायत्री शर्मा तथा जीत राम सुमन ने अपनी कविताओं का भी वाचन किया। इस अवसर पर साहित्य परिषद द्वारा रत्न चंद निर्झर को सम्मानित भी किया गया। मंच संचालन बिलासपुर के साहित्यकार कुलदीप चंदेल द्वारा किया गया।