प्रभु के नाम का सिमरन करने से निश्चित मिलता है फल: पंडित सुरेश

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आवाज़ ए हिमाचल 

अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर

5 मार्च। श्री नयना देवी जी विधानसभा क्षेत्र के धरा गांव में चल रही श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए पंडित सुरेश भारद्वाज ने कहा कि यदि कोई प्राणी भगवान नाम का उच्चारण भी कर लेता है तो उसे पापों से मुक्ति मिल जाती है।

उन्होंने कहा कि आग का काम जलाना है। कोई व्यक्ति यदि आग को जाने-अनजाने में छू लेता है तो उसे तुरंत जलन का अहसास होता है। भगवान का नाम भी इसी तरह है, कोई प्रभु के नाम का सिमरन करता है तो उसे निश्चित फल मिलता है।

उन्होंने एक रोचक प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि अजामिल ने अपने जीवन में अनेकों पाप किए। लोगों को तंग करना तथा उन्हें हानि पहुँचाना उसकी आदत बन गई थी। लेकिन जब अंत समय पास आया तो उसके मुंह से केवल नारायण-नारायण शब्द निकले। इतने मात्र से ही भगवान ने उसे अपने चरणों में शरण दी तथा उसके सकल कलेश कट गए और अजामिल का उद्वार हुआ।

उन्होंने कहा कि पापों का सबसे बड़ा प्रायश्चित है कि वह भगवान के नाम का उच्चारण करें। उन्होंने बताया कि भगवान के नाम से मनुष्य की बुद्धि, भगवान के गुण नाम, लीला और स्वरूप में रम जाती है। भगवान के प्रति मानव की आत्मीय बुद्धि हो जाती है। उन्होने कहा कि जीव उठते, बैठते, गिरते, पड़ते या हंसी मजाक में भी जब हरि-हरि कहकर पुकारता है तो भी प्रभु इसका फल उसे देते हैं। कथा समापन पर भजन कीर्तन के साथ प्रसाद वितरण भी किया गया।

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