आवाज़ ए हिमाचल
02 अप्रैल। प्रदेश सरकार ने डाक्टरों के बाद अब राज्य में नर्सों समेत पैरामेडिकल स्टाफ के तबादलों पर भी रोक लगा दी है। जो स्टाफ जहां पर सेवाएं दे रहा है, वह वहीं पर ही काम करेगा। जरूरत पड़ने पर सीएम की मंजूरी के बाद ही तबादले होंगे। इसके अलावा सरकार ने डाक्टरों के सेवा विस्तार पर भी रोक लगा दी है। जो डाक्टर जैसे सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उन्हें रिटायर कर दिया जाएगा। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने जिलों के सीएमओ, मेडिकल कालेज के प्राचार्यों से डाक्टरों, स्टाफ का ब्यौरा मांगा है, ताकि जरूरत पड़ने पर स्टाफ को इधर से उधर भेजा जा सके। गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग की जिलों के सीएमओ, उपायुक्तों, मेडिकल कालेजों के प्रिंसीपलों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस हुई। कोविड की स्थिति को लेकर सभी से विचार विमर्श किया गया और स्टॉफ का ब्यौरा मांगा गया।
इसके अलावा मेडिकल कालेजों के प्रिंसीपलों को निर्देश दिए गए कि कोविड सेंटर्ज में मरीजों की देखभाल व उनके बेहतर उपचार के लिए विशेषज्ञ डाक्टरों की ड्यूटी भी लगाई जाए। मौतों के मामलों को कम करने के बारे में भी सीएमओ व प्रिंसीपल्स को कहा गया। वहीं, सभी जिलों को सैंपल बढ़ाने के भी निर्देश दिए गए। सरकार ने राज्य में 10 हजार से ज्यादा सैंपल प्रतिदिन लेने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा जिन पांच जिलों में संक्रमण बढ़ रहा है, वहां पर वैक्सीनेशन को भी बढ़ाने के लिए कहा गया। इसके साथ ही जहां पर मेकशिफ्ट अस्पताल शुरू हो गए हैं, वहां पर ही कोविड मरीजों का उपचार किया जाएगा। नालागढ़, शिमला, टांडा में मेकशिफ्ट अस्पताल चालू हो गए हैं। वहीं, बिलासपुर, किन्नौर, कुल्लू, लाहुल-स्पीति, मंडी में आरटीपीसीआर के टेस्ट कम हो रहे हैं। इस पर स्वास्थ्य विभाग ने चिंता जताई है।
धर्मशाला फिर बनाया गया कोविड सेंटर
ऊना, कांगड़ा, चंबा में बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए सरकार ने एक बार फिर से धर्मशाला जोनल अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाने का निर्णय लिया है, क्योंकि टांडा मेडिकल कालेज में कोविड मरीजों के लिए 60 बिस्तर हैं, जबकि यहां पर वर्तमान में 45 मरीज दाखिल हैं। ऐसे में मामलों के बढ़ने के साथ यहां पर गंभीर मरीजों के भी ज्यादा भर्ती होने की संभावना है। इसी को देखते हुए धर्मशाला को कोविड अस्पताल बनाने का निर्णय लिया गया है। यहां पर 100 बिस्तरों की सुविधा है।