आवाज़ ए हिमाचल
धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश के जलाशयों, नदी, नालों और खड्डों में मछली पकडऩे पर मत्स्य विभाग ने प्रतिबंध लगा दिया है। विभाग ने 16 जून से 15 अगस्त तक मछली पकडऩे पर रोक लगाई है। अवहेलना करने वालों को तीन साल तक की कैद और पांच हजार तक का जुर्माना हो सकता है। निदेशक एवं प्रारक्षी मत्स्य सतपाल मेहता ने बताया कि प्रदेश के जलाशयों एवं सामान्य नदी-नालों व इनकी सहायक नदियों में 12 हजार से अधिक मछुआरे मछली पकडक़र अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के पांच जलाशयों गोबिंदसागर, पौंग, चमेरा, कोलडैम एवं रणजीत सागर में 5300 से अधिक मछुआरे मछली पकडऩे का कार्य कर रहे हैं।
इसके अलावा अन्य जगह पर 6000 से अधिक मछुआरे फेंकवां जाल के साथ मछली पकडऩे के कार्य में लगे हैं। सभी मछुआरों को निरंतर मछली मिलती रहे, इसका दायित्व हिमाचल प्रदेश मत्स्य पालन विभाग का है। इसके लिए मत्स्य विभाग प्रतिवर्ष दो माह के लिए मछली पकडऩे पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है, क्योंकि इस अवधि में अधिकतर महत्त्वपूर्ण प्रजातियों की मछलियां प्रजनन करती हैं, जिससे इन जलाशयों में मछली बीज संग्रहण हो जाता है। उन्होंने सभी से अनुरोध किया है कि किसी भी प्रकार के अवैध मत्स्य आखेट में शामिल न हों, अन्यथा अगर कोई पकड़ा जाएगा, तो अधिकतम तीन साल की कैद अथवा पांच हजार तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।