आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। राज्य के सरकारी स्कूलों में एसएससी, यूपीएसी, जेईई और एनडीए सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को कोचिंग देने के लिए अब संस्थानों को नए नियमों का पालन करना होगा। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कोचिंग देने वाले संस्थानों के लिए नियम तैयार किए गए हैं। इन नियमों के मुताबिक कोई भी संस्थान कोचिंग देने के लिए योग्य है, लेकिन कोचिंग संस्थान द्वारा शिक्षा विभाग को 1 लाख की बैंक गारंटी जमा करवाना जरूरी है।
संस्थान इस योजना के तहत चयनित छात्र-छात्राओं को कोचिंग प्रदान करने के लिए पात्र होगा। इसके साथ ही नियमों में यह भी स्पष्ट किया किया गया है कि यदि अभी तक उस संस्थान द्वारा बैंक गारंटी जमा राशि नहीं की गई है, तो उन्हें यह राशि तुरंत प्रभाव से बैंक का गारंटी स्वरूप में जमा करवानी होगी। उसके बाद ही कोचिंग संस्थान इस उद्देश्य के लिए पात्र होंगे। इसके साथ ही नए नियमों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि विद्यार्थी द्वारा जिस भी कोचिंग संस्थान में प्रवेश लेना हो, उस संस्थान में अधिक संख्या में योग्य शिक्षक होने चाहिए, वहीं यदि किसी संस्थान की सफलता की दर काफी अधिक हो तो उस स्थान को 3 साल के लिए कम समय के लिए काम करने पर ही पात्र माना जा सकता है। यानी यदि छात्रों के रिजल्ट देने में संस्थान की परफार्मेंस अच्छी हो, तो वह 3 साल से कम समय के साथ भी अप्लाई कर सकता है।
उच्च शिक्षा निदेशक डा. अमरजीत शर्मा की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं कि जमा दो के छात्र-छात्राएं अपने आवेदन पत्र 25 अप्रैल तक उच्च शिक्षा निदेशक के कार्यालय में ईमेल के माध्यम से जमा करवा सकते हैं। गौर रहे है कि राज्य के सरकारी स्कूलों में मेधा प्रोत्साहन योजना के तहत जमा दो के 350 अभ्यार्थियों तथा स्नातक स्तर के 150 अभ्यर्थियों को मेरिट के आधार पर चयनित किया जाता है। इसके लिए सामान्य श्रेणी मे कम से कम 75 फीसदी अंक होना जरूरी है। जबकि अनुसूचित जाति, जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग में 10 + 1 में कम से कम 60 अंक होना जरूरी है। इसके लिए पूरे साल छात्रों को स्कूल में 75 की हाजिरी देनी होगी तभी मेधा प्रोत्साहन योजना के लिए छात्र योग्य होंगे। चयनित विद्यार्थियों को जीवन काल में अधिकतम 1 लाख की वित्तीय सहायता दी जाती है ताकि विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर सकें।