आवाज़ ए हिमाचल
01 दिसंबर। इतिहास में पहली बार मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचने वाले नाराज कांस्टेबलों ने फिर से पुलिस मेस का खाना छोड़ दिया है। कई जगह कांस्टेबलों ने इसके लिए बाकायदा रोजनामचे में भी शिकायत डाल दी है। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर भी अपने हक को हासिल करने के लिए अब पुलिस ने जंग छेड़ दी है। ई-मेल से लेकर व्हाट्सएप तक का इस्तेमाल कर जवान ‘जस्टिस फॉर एचपी पुलिस हैश टैग’ का उपयोग कर लोगों को सरकार की ज्यादती और अपनी नाराजगी का कारण बताने में जुट गए हैं।
पुलिस कर्मी अपने हितों की रक्षा के लिए किसी भी तरह का आंदोलन नहीं कर सकते। ऐसे में वह अन्न त्याग आंदोलन कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार 2013 में भर्ती हुए जवानों को दो वर्ष बाद संशोधित वेतन मान दे दिया गया। लेकिन 2015 के बाद से हो रही भर्तियों में चुने जाने वाले जवानों को संशोधित वेतन मान देने के लिए 8 साल का समय निर्धारित कर दिया गया जबकि अन्य सरकारी कर्मचारियों को दो साल बाद वेतनमान में बढ़ोतरी मिल रही है।
अगर सरकार मांग नहीं मानती है तो अब जवानों के परिजन ही बड़ा आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे। सरकार ने गत रविवार मुख्यमंत्री आवास घेरे जाने पर बैठक का ऐलान तो किया परतु अभी तक बैठक नहीं हो सकी है। जिस पर सरकार के मौन और पुलिस कर्मियों के सोशल मीडिया पर सक्रिय होने से वर्दी पर भी असर पड़ना शुरू हो गया है।