आवाज़ ए हिमाचल
जवाली। पुलवामा अटैक में तिलक राज को शहीद हुए चार साल बीत चुके हैं, लेकिन आज तक सरकार के वादे पूरे नहीं हो पाए हैं। शहीद के माता-पिता, पत्नी सहित परिजन आज भी सरकार के वादों के पूरा होने की राह ताक रहे हैं। शहीद की शहादत पर तत्कालीन सरकार ने शहीद के घर को जाने वाली सडक़ का नाम शहीद के नाम पर रखने, धेवा में शहीदी गेट बनाने, श्मशानघाट को जाने वाले मार्ग को पक्का करने, धेवा स्कूल का नाम शहीद के नाम रखने तथा शहीद की पत्नी को सरकारी जॉब देने का वादा किया था। उसमें से शहीद की पत्नी सावित्री देवी को सरकारी जॉब दे दी गई, धेवा स्कूल का नाम शहीद के नाम पर रख दिया गया, लेकिन अन्य किसी भी वादे को पूरा नहीं किया गया। आज तक न तो शहीदी गेट बन पाया, न ही सडक़ का नाम शहीद के नाम पर हुआ और न ही श्मशानघाट को जाने वाला रास्ता पक्का हो पाया है। स्कूल का नाम शहीद के नाम पर रख दिया गया, परंतु स्कूल में शहीद का नाम एक टीन की चादर पर लिखा गया है, जो कि शहादत को जख्म देता है।
वक्त के थपेड़ों से शहीद की शहादत धुंधली होती जा रही है। जब तिलक राज शहीद हुए थे, तो उनका छोटा बेटा विवान कपूर मात्र 22 दिन का था। 14 फरवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा अटैक ने देशभर को झकझोर कर रख दिया था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर हमलावर ने विस्फोटक भरी कार से सीआरपीएफ काफिले की बस को टक्कर मार दी थी। धमाका इतना भयंकर था कि बस के परखच्चे उड़ गए। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। इस हमले में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के जवाली विधानसभा क्षेत्र के गांव धेवा जंदरोह के तिलक राज ने भी शहादत दी। वर्ष 2019 में जनवरी के महीने में ही शहीद की पत्नी ने बेटे विवान कपूर को जन्म दिया था, जिसके सिर से जन्म के 22 दिन के अंदर ही पिता का साया उठ गया। 11 फरवरी, 2019 को तिलक राज छुट्टियां काट कर ड्यूटी पर गया था तथा 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा अटैक में शहीद हो गया। उनकी शहादत को आज भी देश सलाम करता है। शहीद का बेटा वरुण कपूर डीपीएस में पहली कक्षा में पढ़ता है व विवान कपूर शाहपुर स्कूल में नर्सरी में पढ़ता है।
शहीद के माता-पिता को मलाल
शहीद के पिता लायक राम व माता बिमला देवी ने कहा कि उनको आज भी अपने बेटे के घर आने का इंतजार रहता है। उन्होंने कहा कि हमारा बेटा देश की सेवा में शहीद हुआ जोकि गर्व की बात है, लेकिन सरकार ने शहादत के समय जो वादे किए उनको पूरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि आज तक हमारे बेटे के नाम का शहीदी गेट नहीं बन पाया, श्मशानघाट को जाने वाला रास्ता पक्का नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि धेवा स्कूल का नाम हमारे लाल के नाम पर किया गया और वहां पर एक छोटी की टीन की चादर पर ही नाम लिखा गया है, जो कि शहादत को जख्म देता है। उन्होंने कहा कि आज हमारे आंसू पौंछने कोई भी नहीं आता। किसी भी नेता को हमारी याद नहीं आती। उन्होंने रोते-रोते कहा कि हमारे बेटे के नाम पर शहीदी गेट बनाया जाए, ताकि उसकी शहादत को युगों-युगों तक याद रखा जा सके।