आवाज़ ए हिमाचल
27 मार्च। हिमाचल प्रदेश में धारा 118 की स्वीकृतियों के बदले कथित घूसखोरी से जुड़ी पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा की बहुचर्चित ऑडियो सीडी की विजिलेंस जांच में आरोपित कारोबारी विनोद मित्तल पर शिकंजा कसेगा। परवाणू के इस कारोबारी का अप्रैल में पॉलीग्राफ टेस्ट होगा। कोविड-19 संक्रमण के कारण यह टेस्ट नहीं हो पाया था। आरोपित भी क्वारंटाइन रहा। इस कारण जांच प्रभावित हुई। अब इसमें तेजी आएगी। अगले अप्रैल के पहले सप्ताह में टेस्ट करवाया जा सकता है। इससे पहले पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा के पॉलीग्राफ टेस्ट की निचली कोर्ट से अनुमति नहीं मिली। 2010 में 18 सितंबर को विनोद मित्तल और पी मित्रा के बीच वार्ता हुई। इनमें मित्रा पर रिश्वत की मांगने के आरोप हैं।ऑडियो क्लिप में होटल कारोबारी विवेक डोगरा की भी वार्तालाप है। यह व्यक्ति मित्रा के लिए काम करते थे। ऐसा विजिलेंस जांच से पता चला है। कारोबारी विनोद मित्तल के पॉलीग्राफ टेस्ट की कोर्ट पहले ही अनुमति दे चुका है। लेकिन अभी इस आरोपित का भी टेस्ट नहीं हुआ है।
क्या है मामला
पूरा मामला 2010-11 का है। तब मित्रा राजस्व सचिव थे। मित्तल तो तभी से आरोपित हैं, पर मित्रा मौजूदा सरकार के कार्यकाल में आरोपित बने हैं। असल में विजिलेंस ने पहले केस का क्लोजर रिपोर्ट तैयार की थी। लेकिन ट्रायल कोर्ट इस रिपोर्ट से सहमत नहीं हुआ। इस कारण दोबारा जांच के निर्देश दिए। केस में कई आरोपितों के वॉयस सैंपल लिए गए। दो बार मित्रा को विजिलेंस से थाने बुलाकर कड़ी पूछताछ की। इस बीच वॉयस सैंपल लिया गया। मित्रा की आवाज का सीडी में कैद आवाज से मिलान हो गया। इससे पहले कि इसकी फॉरेंसिक लैंब से रिपोर्ट आती, आरोपित ने अग्रिम जमानत करवा ली। रिपोर्ट आरोपित के खिलाफ आई। इसके बाद जांच एजेंसी ने पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने को लेकर निचली कोर्ट में अर्जी दाखिल की। करीब ढाई साल के बाद कोर्ट से इसे रद कर दी।