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बिलासपुर। हर साल गोबिंदसागर झील में जलमग्र होने वाले बिलासपुर के ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर जल्द ही बाहर निकलेंगे। इसके लिए चेन्नई की निजी कंपनी की ओर से बिलासपुर के सांढू मैदान स्थित इन आठ मंदिरों को लेकर टेस्टिंग कार्य शुरू कर दिया गया है। गोबिंदसागर झील में समाए इन मंदिरों को दोबारा पुनरस्थापित किया जाएगा। कंपनी की ओर से शुरू किए जा रहे जियोलॉजिकल टेस्टिंग सर्वे के तहत करीब 30 मीटर गहराई तक सैंपल जुटाए जाएंगे, जिन्हें जांच के लिए दिल्ली स्थित लैबोरेट्री को भेजा जाएगा। जानकारी के अनुसार बिलासपुर के ऐतिहासिक सांढू मैदान में स्थित लाखों लोगों की आस्था के केंद्र इन मंदिरों को बाहर निकाला जाएगा। इसके अलावा इन सभी मंदिरों को जमीन से बाहर निकालने के बाद एक-दूसरे के साथ जोड़ा जाएगा। वहीं, लोग इन मंदिरों में पूजा-अर्चना भी कर सकेंगे। इससे यह क्षेत्र धार्मिक स्थल के रूप में भी विकसित होगा। गोबिंदसागर झील का जलस्तर नीचे जाते ही आठ मंदिर दिखाई पड़ते हैं।
यही नहीं, इन सभी मंदिरों को बाहर निकाला जाएगा और मंडी भराड़ी पुल से करीब 300 मीटर आगे एक बांध की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं। इससे गोबिंदसागर झील का शहर के नजदीक का यह हिस्सा हमेशा पानी से भरा रहेगा। वहीं, इससे वाटर स्पोट्र्स के साथ साथ इन मंदिरों में झूला पुलों की मदद से दर्शन करने पहुंच सकेंगे। चेन्नई से आई टीम ने इन दिनों बांध के लिए भी सायल टेस्टिंग कर रही है। चेन्नई की यह कंपनी मंदिर के निकट इस समय करीब नौ प्वाइंट पर जमीन के नीचे की परत के सैंपल एकत्रित करेगी और उसके बाद अगली साइट पर कार्य शुरू किया जाएगा। कंपनी की ओर से एक मंदिर के सैंपल एकत्रित भी कर लिए गए हैं। करीब छह मीटर तक पक्की रॉक होने की बात कंपनी की ओर से कही गई है। वहीं, दूसरे मंदिर से सैंपल एकत्रित किए जा रहे हैं। यहां नौ प्वाइंट पर सर्किल में खुदाई करने के बाद सैंपल लिए जाएंगे। उसके बाद इन सैंपल पर दिल्ली लैबोरेट्री में रिपोर्ट तैयार की जाएगी। हां पर करीब 30 मीटर तक खुदाई की जा रही है।