विधायक केवल सिंह पठानिया की बदौलत शाहपुर को मिला बांस आधारित पायलट प्रोजेक्ट
आवाज़ ए हिमाचल
बबलू सूर्यवंशी, शाहपुर। अब तक सिर्फ घर निर्माण, टोकरियां व अन्य छोटे मोटे उत्पाद तैयार करने वाला शाहपुर का बांस जल्द ही देश-विदेश में लोगों के घरों की सजावट करता नजर आएगा। शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया की बदौलत शाहपुर को बांस आधारित पायलट प्रोजेक्ट मिला है। यह प्रोजेक्ट जीआईजेड के सहयोग से इकोशियेट कंसल्टेंट्स संस्था द्वारा चलाया जाएगा। विधायक केवल सिंह पठानिया इस पायलट प्रोजेक्ट पर खुद नजर रखे हुए हैं।अहम यह है हिमाचल प्रदेश में इस तरह का यह पहला प्रोजेक्ट है। विधायक केवल सिंह पठानिया ने एप्रोप्रियेट टेक्नोलॉजी सेंटर शाहपुर में गुरुवार को वैज्ञानिक अधिकारी सुनंदा पठानिया, एटीसी शाहपुर के वैैज्ञानिक अधिकारी रवि शर्मा, वानिकी और जैव विविधता जीआईजेड के सलाहकार कुणाल भरत, इकोशियेट कंसल्टेंट्स संस्था के कंसलटेंट निर्मल्या मंडल के साथ बैठक कर विस्तार से चर्चा की।
जानकारी के मुताबिक पायलट प्रोजेक्ट के शुरुआत में भनाला, नेरटी, बसनूर, डोहब व चड़ी में बांस उत्पादन, बांस की प्रजाति को लेकर सर्वे किया जाएगा। इस दौरान घरों में बांस के उत्पाद तैयार करने वाले लोगों से भी मुलाकात कर उनकी समस्याओं बारे पता किया जाएगा। सर्वे के बाद एक रिपोर्ट तैयार होगी तथा इस रिपोर्ट के आधार पर अन्य प्रदेशों में तैयार होने वाले उत्पादों व कलाकृतियों की तुलना यहां के बांस से की जाएगी तथा सब कुछ ठीक रहा तो शाहपुर में बांस से सजावटी कलाकृतियां, फर्नीचर सहित अन्य उत्पाद तैयार करने की ट्रेनिग स्थानीय लोगों को दी जाएगी। यही नहीं यहां तैयार होने वाली कलाकृतियों व उत्पादों को बेचने के लिए राष्ट्रीय व इंटरनेशनल स्तर पर मार्किट का पता भी किया जाएगा, ताकि यहां तैयार उत्पादों को मार्किट में आसानी से बेचा भी जा सके।
केवल सिंह पठानिया ने कहा कि शाहपुर में जीआईजेड के सहयोग से बैंबू बेस्ड क्राफ्ट की संभावनाएं तलाशने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारी भनाला, गोरडा, बसनूर, डोहब व नेरटी में सर्वे करेंगे तथा यहां बांस उत्पादन व इसकी उपयोगिता पर एक रिपोर्ट तैयार करेंगे, ताकि आने वाले समय में यहां बैंबू बेस्ड क्राफ्ट पर काम किया जा सके। उन्होंने कहा कि बांस की कलाकृति प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लोकप्रिय शिल्पों में से एक है। बांस शिल्प की कलाकृतियां शहर और गांवों के साथ-साथ लगभग सभी घरों में किसी न किसी रूप में देखने को मिल जाती हैं।
शाहपुर में अधिकतर पंचायतों में बांस का भारी मात्रा में उत्पादन होता है तथा इसे स्वरोजगार के रूप में अपनाने के लिए जीआई जेड के सहयोग से बैंबू बेस्ड क्राफ्ट को बढ़ावा देने के लिए लोगों को ट्रेनिग दी जाएगी। इस दौरान मास्टर ट्रेनर भी तैयार किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यहां के बांस की किस्म के आधार पर उत्पाद तैयार कर राष्ट्रीय व इंटरनेशनल स्तर पर इसकी मार्केटिंग की संभावनाएं तलाश की जाएंगी।