आवाज़ ए हिमाचल
शांति गौतम, बद्दी। स्वयं प्रगट दुर्गा माता मंदिर मितियां में चैत्र नवरात्रि के चतुर्थ दिवस पर श्रीमद् भागवत कथा मैं महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानंद हरिद्वार ने कहा भागवत की कथा बैकुंठ में नहीं होती, स्वर्ग लोक में भी भागवत का रस नहीं मिलता बल्कि मृत्युलोक में ही कथा गंगा प्रवाहित होती है। इसलिए जीवन पर्यंत श्रीमद् भागवत का श्रवण करना चाहिए। कथा श्रवण द्वारा और सत्संग द्वारा जवानी के भोग की धारा को योग की ओर मोड़ देना ही जीवन का परम लक्ष्य है। भगवान के नामों का स्मरण करे भगवान की कथा, सुनें संतों की सेवा करें अपने कर्मों का फल भगवान के चरणों में अर्पित करें। स्वाध्याय एकांतवास यह सब मुक्ति के साधन हैं।
स्वामी जी ने कहा गृहस्थ में रहकर भगवान की भक्ति हो सकती है। भरत जी घर छोड़कर घाट पर गए तो हिरण शावक के मोह में फँस गये , वही पुनर्जन्म का कारण बना। कहा कि भगवान के परम भक्त प्रहलाद जी अनेक जन्मों के भजन के संस्कार लेकर आए थे। हिरण्यकश्यपु ने प्रहलाद को बहुत कष्ट दिए भक्त प्रहलाद जी भगवान का नाम सिमरन करते रहे नाम के प्रभाव से भगवान नरसिंह खंबे से प्रगट हुए। भगवान सर्वत्र हैं समरूप में है प्रेम से प्रगट होते हैं यह दर्शन भक्त प्रह्लाद ने दिया है। रविवार को दुर्गा माता मंदिर में कृष्ण जन्म नंद महोत्सव मनाया जाएगा भगवान की भव्य झांकियां दिखाई जाएंगी।