आवाज ए हिमाचल
4 जनवरी।हिमाचल प्रदेश के अंदर जिला परिषद कैडर के पंचायत सचिवों को समय पर वेतन न मिलने का मामला गरमा चुका है। प्रदेश के अधिकांश विकास खंडों के अंतर्गत कार्यरत पंचायत सचिवों को निर्धारित तिथि के अंदर वेतन न मिलने के कारण पंचायत सचिवों में बेहद आक्रोश है। हिमाचल प्रदेश पंचायत सचिव संघ के प्रदेशाध्यक्ष अमित जसरोटिया ने बताया कि जिला परिषद कैडर के पंचायत सचिवों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है तथा प्रदेश के अधिकांश विकास खंडों में पंचायत सचिवों को महीने की 15 तारीख के बाद तो कहीं कहीं पिछले 2 महीनों से पंचायत सचिवों को वेतन नहीं मिला है। पंचायत सचिवों को समय पर वेतन न मिलने के कारण उन्हें तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
प्रदेशाध्यक्ष के मुताबिक संघ लगातार सरकार से मांग करता चला आ रहा है कि जिला परिषद कैडर के पंचायत सचिवों का विलय पंचायती राज या ग्रामीण विकास विभाग में किया जाए, ताकि पंचायत सचिवों को इस तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े। उन्होंने बताया कि पंचायत सचिव अपने भविष्य को लेकर बेहद चिंतित हैं, न तो उन्हें अन्य कर्मचारियों की तर्ज पर वित्तीय लाभ दिए जा रहे हैं तथा न ही उनका एनपीएस काटा जा रहा है। अमित जसरोटिया ने कहा कि वर्ष 2003 से पहले नियुक्त हुए पंचायत सचिवों को पुरानी पेंशन स्कीम के अंतर्गत शामिल करने का मामला भी सरकार से उठाया गया है। पंचायतों के अंदर एक समान कार्य करने के उपरांत एक वर्ग को पुरानी पेंशन, जबकि दूसरे को एनपीएस में शामिल करने के निर्देश हैं, जिसे कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता।उन्होंने कहा कि पंचायत सचिवों ने कोरोना संकट काल में भी सरकार के दिशा-निर्देशों अनुसार 12 घंटे से भी ज्यादा समय तक सेवाएं प्रदान की हैं तथा वर्तमान में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में भी पंचायत सचिव अपनी सेवाएं दिन-रात प्रदान कर रहे हैं। अधिकांश विभागों का कार्य पंचायत सचिवों को सौंप दिया गया है। कार्य का बोझ होने के कारण पंचायत सचिव मानसिक रूप से परेशान हैं तथा आर्थिक रूप से भी उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि पंचायत सचिव केंद्र तथा प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को आम जनमानस तक पहुंचा रहे हैं तथा योजनाओं के लाभार्थियों का डाटा भी पंचायत सचिवों द्वारा अपनी-अपनी पंचायत में तैयार किया गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मांग करते हुए कहा कि प्रदेश के अंदर कार्यरत जिला परिषद कैडर के समस्त पंचायत सचिवों का पंचायती राज या ग्रामीण विकास विभाग में विलय किया जाए तथा 2003 से पूर्व नियुक्त हुए पंचायत सचिवों को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ दिया जाना सुनिश्चित बनाया जाए।