आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा बिलासपुर
24 नवंंबर। ज़िला अधिवक्ता संंघ बिलासपुर के अध्यक्ष चमन ठाकुर की अगवाई में मंगलवार को वरिष्ठ अधिवक्ता स्वर्गीय राजेन्द्र कुमार हांडा की संदेहास्पद परिस्थितियों में आईजीएमसी शिमला कोविड सेन्टर में हुई मृत्यु के बारे में छानबीन को लेकर डीसी के माध्यम से महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन प्रेषित किया गया। वही प्रैस को जारी बयान में चमन ठाकुर ने कहा कि राजेंद्र कुमार हांडा वरिष्ठ अधिवक्ता, जिला बार संघ बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ सदस्य थे।
आपातकाल के दौरान उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा हेतु चले आंदोलन में बढ़.चढ़कर भाग लिया था और इस दौरान 19 महीने कारावास में भी रहे थे। इनकी उल्लेखनीय सेवाओं को देखते हुए इन्हें राज्य सरकार द्वारा लोकतंत्र का प्रहरी की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था। उन्होंने कहा कि 2 अक्तूबर 2020 को राजेंद्र हांडा का स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्हें उपचार हेतु जिला चिकित्सालय बिलासपुर से आईजीएमसी शिमला को तत्काल इलाज हेतु भेजा गया। जिसके उपरांत उनके पुत्र विपुल कुमार हांडा इन्हें लेकर उसी दिन सुबह 10 बजे आईजीएमसी शिमला पहुंचे, लेकिन वहां की अव्यवस्था को देखकर उन्हें हैरानी हुई।
दोपहर बाद तक उन्हें एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं की गई थी और जो एम्बुलेंस आई उसमें ऑक्सीजन की उपलब्धता न होने के अलावा आईजीएमसी शिमला प्रशासन के अधिकारियों का मरीजों के साथ व्यवहार व खाने की अव्यवस्था शामिल है। उन्होंने कहा कि यह बेहद चिंताजनक व दुख का विषय है कि आईजीएमसी स्टाफ व कर्मचारियों की लापरवाही के चलते दिनांक 3 अक्तूबर 2020 को राजेंद्र कुमार हांडा की अकस्मात मृत्यु हो गई।
उन्होंने प्रष्न किया है कि स्वर्गीय राजेंद्र कुमार हांडा के कोविड सेंटर आईजीएमसी शिमला में एडमिट करने में 5 घंटे का विलंब क्यों हुआ, आईजीएमसी में कोविड-19 में मृतक वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ अमाननीय व लापरवाही पूर्ण व्यवहार क्यों किया गया, हांडा की कोविड-19 उपचार के दौरान आंख व चेहरे पर चोटे किन कारणों से आई। हांडा का मोबाइल फोन किन परिस्थितियों में बंद हुआ और बाद में गायब भी किया गया, जिसके बारे पुलिस कंप्लेंट भी दर्ज कराई गई थी।
जिला अधिवक्ता संघ बिलासपुर मांग करता है कि इन सभी विषयों के ऊपर गहनता से न्यायिक जांच करवाई जाए तथा सत्य को उजागर किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि 3 दिन के भीतर न्यायिक जांच का आदेश नहीं दिया जाता तो जिला अधिवक्ता संघ कठोर निर्णय लेने पर मजबूर होगा जिसकी पूर्ण जिम्मेवारी सरकार व प्रशासन की रहेगी।
इस प्रतिनिधिमंडल में अध्यक्ष के अलावा दौलत राम शर्मा, विपुल हांडा, आदित्य मोहन कश्यप, विजय ठाकुर, सरपाल सिंह ठाकुर, तेजस्वी शर्मा, हरि सिंह ठाकुर, भूपेंद्र ठाकुर, अमर सिंह ठाकुर, स्वतंत्र, विक्रम राठौड़, अनिल शर्मा, आरके रघु, विजय जालप, नितिन कौंडल, कमल कौंडल, अमित शर्मा, अनुपम शांडिल्य, नीरज बसु, अनिरुद्ध शर्मा, सुनील मेहता, अभिषेक मिश्रा आदि मौजूद थे।