चमोली में ग्लेशियरों की सेहत खराब कर रहा ब्लैक कार्बन बढ़ रही पिघलने की रफ्तार 

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आवाज ए हिमाचल 

12 फरवरी।अत्यधिक मानवीय गतिविधियां, ब्लैक कार्बन और धूल के कण ग्लेशियरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। गढ़वाल विवि श्रीनगर और भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) पुणे के अध्ययन के मुताबिक 3800 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी ब्लैक कार्बन और धूल के कणों की संख्या बढ़ती जा रही है।वैज्ञानिकों के अनुसार, ब्लैक कार्बन की उच्च हिमालय क्षेत्र में मौजूदगी चिंताजनक है। साथ ही वैज्ञानिकों का मानना है कि योजनाओं के निर्माण में शोध को प्राथमिकता मिले, तो काफी हद तक आपदाओं मेें कमी आएगी।

गढ़वाल विवि के भूविज्ञान विभाग के प्रो. एचसी नैनवाल व भौतिकी विभाग के सहायक प्रो. डा. आलोक सागर गौतम व संजीव कुमार और आईआईटीएम पुणे के वैज्ञानिक डा. अभिलाष पानिक्कर व के संदीप की टीम वर्ष 2016 से बदरीनाथ माणा से करीब 15 किलोमीटर आगे संतोपंथ ग्लेशियर का अध्ययन कर रहे हैं। टीम हर साल यहां मई से अक्तूबर माह तक कुलानिल बेस कैंप में ब्लैक कार्बन मापने के लिए एथेलोमीटर स्थापित करती है।

 

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