आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। हाई कोर्ट ने चंबा के चुराह में अवैध कटान पर हिमाचल प्रदेश वन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक को अदालत के समक्ष तलब किया है। सुनवाई के दौरान अदालत को स्पष्टीकरण न देने पर अदालत ने यह आदेश दिए है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में निगम से दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला न चलाने के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने उपरोक्त आदेश पारित किए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि चुराह वन मंडल के दायरे में आने वाले शक्ति जंगल में देवदारों पर अवैध रूप से कुल्हाड़ी चलाई गई है। शक्ति जंगल में वन निगम को 25 से 30 सूखे पेड़ों को काटने का लॉट जारी हुआ था। निगम के ठेकेदार ने इस लॉट की आड़ में 60 से अधिक हरे देवदार के पेड़ों की बली दे दी। इतना ही नहीं, काटे हुए पेड़ों के ठूंठों को जलाकर सुबूत मिटाने की कोशिश की गई है।
ठेकेदार को चचोल वन बीट में भी सूखे पेड़ों को काटने का लॉट दिया गया है। याचिकाकर्ता ने अंदेशा जताया है कि ठेकेदार ने वहां भी अवैध कटान किया होगा। याचिका में वन अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाया गया है कि लिखित शिकायत करने के बावजूद भी ठेकेदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की जा रही है। अदालत ने पाया कि 14 सूखे पेड़ों की स्वीकृति की आड़ में ठेकेदार ने 57 हरे देवदार के पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाई है। वन विभाग ने शपथ पत्र के माध्यम से अदालत को बताया कि इस जुर्म के लिए ठेकेदार पर 16.67 लाख जुर्माना लगाया है। अदालत ने सरकार को आदेश दिए है कि वह अदालत को बताए कि दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला क्यों नहीं चलाया गया।