आवाज ए हिमाचल
बिलासपुर, अभिषेक मिश्रा। शिक्षक को राष्ट्रनिर्माता यूँ ही नही कहा जाता। शिक्षक ही बच्चो की प्रतिभा की निखारकर उनका सही मार्गदर्शन करता है, जिससे आगे जाकर उनका भविष्य निखरता है। शिक्षक मात्र बच्चो को पढाता नहीं है, अपितु उनकी हर गतिविधियों में सुधार कर उन्हें निखारता है। खासकर छोटे छोटे बच्चे जो प्रीप्राइमरी और प्राइमरी की कक्षाओ में शिक्षा ग्रहण करते हैं। उन बच्चो की एक शिक्षक एक माँ की तरह देखभाल करके उन्हें सब कुछ सिखाता है। आज के समय में बहुत कम ऐसे शिक्षक देखने को मिलते हैं जो बच्चो के विकास के लिए हर समय प्रयास करते दिखते हैं। ऐसी ही शिक्षिका अछरलता राजकीय केंद्र प्राथमिक पाठशाला कोटला में जेबीटी के पद पर तैनात है, जो हर समय बच्चो के विकास के लिए नए नए प्रयास करती दिखती है। अब इस शिक्षिका का चयन बिलासपुर जिला से राज्य स्तर पर बेस्ट टीचर अवार्ड के लिए हुआ है।
बी.ए. ,बीएड , एम.ए, एम एड अछरलता ने कोटला स्कूल को जिला भर में आदर्श स्कूल के रूप में स्थापित कर दिया है। जिसके चलते क्षेत्र के लोगो ने अपने बच्चे निजी स्कुलो से हटा कर इस सरकारी स्कूल में दाखिल करवाए हैं। इस स्कूल में क्षेत्र की लगभग 5 पंचायतो से बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे है । यहीं कारण है कि इस स्कूल में पढने वाले बच्चो की संख्या बाकी सरकारी स्कूल के मुकाबले बहुत अधिक हैं। अछरलता ने इस पाठशाला में वर्ष 2016 से ही अपने दम पर अगेजी माध्यम में प्री प्राइमरी कक्षाए शुरू की थी। बाद में प्रदेश सरकार ने कुछ स्कुलो में यह सुविधा प्रदान की जबकि अछरलता ने अपने दम पर यह कार्यक्रम पहले ही शुरू कर दिया था। वहीँ जब कोविड काल में स्कूल बंद थे तो सरकार ने ऑनलाइन क्लास शुरू की परन्तु कुछ अभिवावक आर्थिक रूप से काफी कमजोर थे जिस वजह से उनके पास स्मार्ट मोबाइल नही थे,जिसकी वजह से उनके बच्चे ऑनलाइन क्लास नही लगा पा रहे थे। अछरलता ने जब उनके अभिवावकों को कॉल की कि आप बच्चो से ऑनलाइन क्लास क्यों नही लगवा रहे है तो अभिवावकों ने उन्हें अपनी समस्या बताई जिसके बाद अछरलता ने खुद स्मार्ट मोबइल खरीद कर उनके अभिवावकों को दिए ताकि उन बच्चो की भी ऑनलाइन क्लास लगाईं जा सके। इसके अलावा अछरलता ने अपने विद्यालय को अपनी तरफ से एलईडी टीवी भेंट किया है जिसके माध्यम से बच्चे आधुनिक तकनीक से शिक्षा ग्रहण कर रहे है और जल्दी समझ रहे है।
अच्छरलता के पढ़ाने के तरीके को सभी पसंद करते हैं, जिसकी वजह से डाईट जुखाला ने उन्हें स्त्रोत व्यक्ति के रूप में चुना और वर्ष 2006 से 2021 तक लगातार सर्व शिक्षा अभियान के तहत अध्यापको के प्रशिक्षण शिविर के दौरान उन्हें प्रशिक्षक के रूप में कार्यरत किया और उन्होंने इस दौरान सभी अध्यापको को प्रशिक्षण दिया।
बच्चों को सीखने के लिए ” सिखने सिखाने के मूल मन्त्र ” पुस्तक भी लिखी
इसके अलावा अछरलता ने दिव्यांग बच्चो की भी अच्छे से देखरेख की। अछरलता बच्चो को शिक्षण सामग्री के अलावा भी काफी कुछ अन्य गतिविधिया भी सिखाती है जिसकी बदोलत कोटला स्कूल सांस्कृतिक व खेलकूद गतिविधियों जिला व खंड स्तर पर विजेता व उपविजेता रहा, जबकि जिलास्तरीय बालमेले में यह स्कूल प्रथम स्थान पर है। अछरलता ने ” सिखने सिखाने के मूल मन्त्र ” नामक एक किताब भी लिखी है जिसमें उन्होंने प्रीप्राइमरी तथा प्राइमरी की कक्षाओ के बच्चो को पढ़ाने के तरीके बताए गए है। इन तरीको से बच्चे जल्दी सिख रहे हैं। यह किताब अध्यापको के साथ साथ अभिभावकों के लिए काफी मददगार साबित हो रही है। इससे जहां अध्यापक छोटे बच्चो को पढ़ाने की आधुनिक तकनीक सिख रहे है तो वहीँ अभिवावक भी इसकी मदद से बच्चो को घर में सिखा रहे है। अछरलता अभी हाल ही में 31 अगस्त को सेवानिवृत हो गई है, परन्तु उन्होंने बच्चो को सत्र के बीच में छोड़ा नहीं। सेवानिवृति के बाद भी अछरलता ने स्कूल की मुख्याध्यापिका कृष्णा शर्मा के कहने पर मार्च तक स्कूल में पढ़ाने की बात मानी और आजकल अछरलता इस विद्यालय में सेवानिवृति के बाद भी बच्चो को पढ़ा रही है। अछरलता को राज्य स्तर पर बेस्ट टीचर का अवार्ड मिलना क्षेत्र के लिए गौरव की बात है।