कलाकेन्द्र हाल बिलासपुर में ज़िला स्तरीय यशपाल जयन्ती का आयोजन

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आवाज़ ए हिमाचल 
                अभिषेक मिश्रा बिलासपुर
03 दिसंबर। भाषा एवं संस्कृति विभाग बिलासपुर द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव श्रृ्खला के अन्तर्गत ज़िला स्तरीय यशपाल जयन्ती समारोह का आयोजन संस्कृति भवन बिलासपुर के कलाकेन्द्र हाल में किया गया। कार्यक्रम को दो सत्रों मे आयोजित किया गया। प्रथम सत्र में कुलदीप चन्देल तथा श्री अमरनाथ धीमान ने ‘‘क्रान्तिकारी साहित्यकार एवं लेखक यशपाल‘‘ पर पत्रवाचन पढ़े । उसके उपरान्त साहित्कारों द्वारा पत्रवाचनों पर चर्चा-परिचर्चा की गई। वहीँ दूसरे सत्र में मुख्यअतिथि सेवानिवृत्त ज़िला भाषा अधिकारी डॉ0 अनीता तथा वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार कुलदीप चन्देल की अध्यक्षता में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। मां सरस्वती का दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया व मंच संचालन इन्द्र सिंह चन्देल (पर्यवेक्षक भाषा एवं संस्कृति विभाग) ने किया।

सभी साहित्यकारों ने कवयित्रि स्व0 किरण ठाकुर के आकस्मात निधन पर दो मिनट का मौन रखकर उन्हें भावविनी श्रद्धांजलि अर्पित की। बुद्धि सिंह चन्देल ने मां सरस्वती की वन्दना प्रस्तुत की। सर्वप्रथम प्रदीप गुप्ता ने दोहे ‘‘ जाडे़ की रात‘‘ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की, पंक्तियां थी- चौपालें सूनी पडी, धूनी वाले कौन। गोरखू राम शास्त्री ने ‘‘ हे कवि कोई नया राग सुनाता जा। भीम सिंह ने फौजी भाईयों को समर्पित गीत- बाडरा ते लगी गई लडा़ई, मेरे मित्रा घरां कियां जाणा। अमरनाथ धीमान ने-सब कुछ अप्पु करगी होर कमांगी, सौग्गी-सौग्गी घुमणा होर तुसां जो भी घुमांगी। बुद्धि सिंह चन्देल ने- चल चला चल, राही चल चला चल, शीर्षक से रचना प्रस्तुत की। जीत राम सुमन ने-गांव में शहर उगने लगे हैं,फसलों भरे खेत तबसे डरने लगे हैं। अरूण डोगरा रितू ने-सत्य की राह शीर्षक से रचना प्रस्तुत की। पंक्तियां थी-सुनने की आदत डालो क्योंकि,

ताने मारने वालों की कमी नहीं है, मुस्कराने की आदत डालों क्योंकि रूलाने वालों की कमी नहीं है। हुसैन अली ने – कैसे कह दूं कि थक गया हूं मैं, न जाने किस-किस का हौंसला हूं मैं‘‘। सुरेन्द्र मिन्हास ने ‘‘ मजदूर‘‘ शीर्षक से रचना प्रस्तुत कीं पंक्तियां थीं- सडकें, पुल, फ्लाई ओवर हम ही तो बनाते हैं, काम करते-2 कभी कभी कुर्बान भी हो जाते है। तृप्ता देवी ने — मन‘‘ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की पंक्तियां थीं- मने तो मन है इसका क्या, इसको तो समझाना है। अमरावती ने ‘‘ मां का पल्लू‘‘ शीर्षक से रचना प्रस्तुत की पंक्यिां- पल्लू की बात तो निराली थी। प्रतिभा शर्मा ने पहाड़ी रचना -फिरी कियां टोलगी। सत्या शर्मा ने- मैं हूं अतुल्य स्वर्णिम हिमाचल शीर्षक से रचना प्रस्तुत की। कौशल्या देवी ने – पिता जी की स्नेही यादें शीर्षक से रचना प्रस्तुत की। आचार्य श्याम लाल शर्मा ने- जब से प्रियतम शहर गया है।

कुलदीप चंदेल ने – पुराने बिलासपुर पर आधारित रचना प्रस्तुत की, जिसकी पंक्तियां थी- बड़ा अदभुत था वह एक शहर पुराना सा। सोनिका ने पहाड़ी गीत- माए नी मेरिए शिमले दी राहें चम्बा कितनी की दूर प्रस्तुत किया। अन्त में कार्यक्रम की मुख्यअतिथि डॉ0 अनीता शर्मा ने – गांव अब भी स्वर्ग हैं शीर्षक से रचना प्रस्तुत की पंक्तियां थीं- गांव अब भी र्स्वग है, मेरे गांव, घर के आंगन और पिछवाडे़ की दहलीजों के ऊपर कविता बिछती राग बजते। बीना देवी ने ‘‘ ये बतन है हिन्दुस्तान हमारा। शीर्षक से रचना प्रस्तुत की। रविन्द्र चन्देल ने साहित्यकार यशपाल पर रचना प्रस्तु की। विभाग द्वारा अवगत करवाया गया कि 12 दिसंबर को गीता आश्रम धारटटोह में अन्तर्राष्ट्रीय गीता जयन्ती का आयोजन करवाया जाएगा जिसमें ज़िला के संस्कृत विद्वान सादर आमंत्रित है।

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