आवाज़ ए हिमाचल
02 मई। ग्राम पंचायत डोल भटेहड़ के पूर्व पंचायत समिति सदस्य एवं वर्तमान उपप्रधान साधु राम राणा ने मांग की कि आशा वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए। इनकी ड्यूटी का कोई समय तय नहीं है, जान जोखिम में डालकर लोगों के घर द्वार दस्तक दे रहीं हैं, चाहे उस दिन छुट्टी ही क्यों न हो। प्रदेश में जब से कोरोना महामारी ने दस्तक दी है। तभी से कोरोना रोकथाम के लिए सभी प्रशासनिक तंत्र के साथ हेल्थ विभाग के नियमित रूप से कार्यरत कर्मचारियों की ड्यूटी कार्य अवधि में लगाई गई है। उन्होंने कहा कुछ कर्मचारियों को छोड़कर लगभग सभी कर्मचारी अपनी ड्यूटी निर्धारित समय में करते हैं। लेकिन कोरोना बचाव में देखा गया है कि हेल्थ विभाग के अधीनस्थ कार्यरत आशा वर्कर्स की ड्यूटी का कोई समय तय नहीं है।
कोरोना बचाव में उतरी समस्त आशा वर्कर्स को अपने-अपने क्षेत्रों में जान जोखिम में डालकर रात-दिन लोगों के घरों में कोरोना संबंधी जानकारी लेने कोरोना प्रभावित मरीजों के साथ हर दिन संपर्क करने एवं बाहर से आने वाले लोगों की जानकारी लेने के लिए पैदल ही चलना पड़ता है। छुट्टी वाले दिन भी आशा वर्कर को भी नियमित रूप से कार्यरत रहना पड़ रहा है। उन्होंने कहा इस जोखिम भरे काम के बदले सरकार की ओर से आशा वर्करों को मिलने वाली वेतन राशि नाम मात्र ही है।
आशा वर्कर्स से सरकार कम वेतन में अधिक काम लेने के बावजूद इन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित नहीं कर पा रही है, जबकि आशा वर्कर की ड्यूटी की जवाबदेही को देखते हुए सरकार वेतनमान बढ़ाने एवं इन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित करने की मांग करती है, ताकि आशा वर्कर्स अपने आप को एवं अपने परिवार को सुरक्षित समझकर ड्यूटी निभाने का जोखिम उठा सकें।