आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (विजिलेंस) ने सरकारी विभागों, निगमों और बोर्डों में आउटसोर्स पर कर्मचारियों को रखने वाली कंपनियों के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में यह बात सामने आई थी। फर्जी कंपनियां हजारों कर्मचारियों को आउटसोर्स पर भर्ती कर वर्षों से सरकार से करोड़ों रुपये का कमीशन वसूल रही हैं। विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व भाजपा सरकार जब आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बनाने लगी थी तो फर्जीवाड़े का अंदेशा जताया गया था।
उल्लेखनीय है कि पूर्व जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह की अध्यक्षता में आउटसोर्स कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए कैबिनेट सब कमेटी गठित की गई थी। उस समय कमेटी को 125 में से सिर्फ 15 कंपनियों का ही रिकॉर्ड मिला था। ऐसे में 110 कंपनियों पर फर्जी होने का आरोप है। विजिलेंस थाना बिलासपुर ने जिले में इसकी जांच शुरू कर दी है। अमर उजाला में खबर प्रकाशित होने के बाद थाना बिलासपुर में इसको लेकर 4 जनवरी, 2023 को शिकायत (संख्या 33/22) हुई है। इसके बाद विजिलेंस ने इसकी प्रारंभिक जांच शुरू की है।
गौर हो कि प्रदेश में सरकारी विभागों, निगमों, बोर्डों और विश्वविद्यालयों में 27,633 आउटसोर्स कर्मचारी पिछले कई वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं। उस समय भाजपा सरकार को शक हुआ कि फर्जी कंपनियां बिना सांठगांठ के नहीं पनप सकती हैं। आउटसोर्स कर्मचारियों को हर माह ऑनलाइन वेतन भुगतान की व्यवस्था की गई है। सभी विभागों से पहले संबंधित कंपनियों के खाते में राशि डाली जाती है। इसके बाद कंपनी अपना कमीशन निकालकर आउटसोर्स कर्मचारियों को वेतन का भुगतान करती हैं।