आवाज ए हिमाचल
20 जनवरी। हिमाचल में 31 जनवरी से पहले आंगनबाड़ी केंद्र खोलने की तैयारी शुरू हो गई है। महिला और बाल विकास विभाग ने केंद्रों को खोलने की मंजूरी लेने के लिए सरकार के पास फाइल भेज दी है। सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों सभी राज्यों को 31 जनवरी से पहले केंद्र खोलने को कहा गया है। कोर्ट के इस फैसले को आधार बनाकर निदेशालय ने सरकार से मंजूरी मांगी है। राज्य आपदा प्रबंधन से भी विभाग ने केंद्रों को खोलने की मंजूरी मांगी है।हिमाचल में 18,965 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इनमें 18465 आंगनबाड़ी केंद्र और 500 मिनी केंद्र हैं। इन केंद्रों में साढ़े 37 हजार वर्कर और हेल्पर कार्यरत है। कोरोना संकट के बीच भी हेल्परों और वर्करों ने स्वास्थ्य विभाग की कई योजनाओं में सहयोग दिया है। सरकार की ओर से वर्करों को प्रतिमाह 6800 और हेल्परों को प्रति माह 3500 रुपये वेतन दिया जाता है। छह वर्ष तक की आयु के बच्चों की देखभाल करना।
धार्ती और गर्भवती महिलाओं और नौनिहालों को उनके घरों में पोषक राशन पहुंचाने का कार्य भी वर्कर और हेल्पर करते हैं। इसके अलावा पेंशनरों, अक्षम लोगों की पहचान करने के लिए सर्वे करने का दायित्व भी इन्हें सौंपा गया है। वर्तमान में केंद्र बंद होने के चलते भी सरकार द्वारा इनकी सेवाएं लगातार ली जा रही हैं। आजकल पंचायत चुनाव में इनकी ड्यूटी लगाई गई है। कोरोना संकट के दौरान इन्होंने घर-घर जाकर मरीजों की मैपिंग का कार्य किया है। हिम सुरक्षा अभियान में भी इनकी सेवाएं ली गई हैं।लेकिन इनसे लिए जाने वाले कार्य की एवज में इन्हें वेतन बहुत कम मिलता है। आंगनबाड़ी वर्कर एवं हेल्पर यूनियन संबंधित सीटू की प्रदेशाध्यक्ष नीलम जसवाल और महासचिव राजकुमारी की मांग है कि आंगनबाड़ी कर्मियों को नियमित किया जाना चाहिए। हरियाणा की तर्ज पर वेतन और अन्य सुविधाएं दी जाएं। पेंशन, ग्रेच्युटी, मेडिकल औक छुट्टियों की सुविधा भी दी जाए।