मध्य प्रदेश: शराब की दुकानें बढ़ाने को लेकर बवाल, आबकारी विभाग ने निरस्त किया प्रस्ताव

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आवाज ए हिमाचल 

23 जनवरी। मध्य प्रदेश में शराब को लेकर आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे की ओर से जारी एक आदेश की वजह से सियासी संग्राम छिड़ गया। उन्होंने ये आदेश शराब को लेकर सभी जिलों के कलेक्टर को दिया था। इस आदेश के बारे में जैसे ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पता चला तो उन्होंने इसे तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया। दरअसल, तीन दिन पहले गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने शराब की नई दुकानें खोलने वाला बयान दिया था। इसके कुछ घंटे बाद ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान आया कि ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ है। इसके बावजूद 21 जनवरी को आबकारी आयुक्त राजीव दुबे ने सभी कलेक्टरों को एक पत्र जारी कर जिलों में 20% नई दुकानें खोलने के लिए प्रस्ताव मंगवा लिए, जिस कारण बवाल मच गया।

पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जताया विरोध
इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई। इतना ही नहीं, उन्होंने भोपाल में शुक्रवार को प्रदेश में पूर्णत: शराबबंदी के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस भी किया। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘नशा करने के बाद ही दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसलिए शराबबंदी, नशाबंदी होनी चाहिए। दिग्विजय सिंह ने भी शराबबंदी का समर्थन कर दिया’। उमा ने आगे कहा, ‘कोरोना काल में स्पष्ट हो गया है कि शराब नहीं पीने से किसी की मौत नहीं हुई। तब भी मैंने मुख्यमंत्री से शराबबंदी की बात की थी। शिवराज से मिलकर अब उस ड्राफ्ट पर चर्चा करना चाहूंगी, जो शराबबंदी के लिए काफी पहले बना था। मैं शराबबंदी मुहिम चलाऊंगी और चाहूंगी कि इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश से हो’।

भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष ने दिया विवादित बयान
उमा भारती के बयान पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से कहा, ‘उन्होंने और मैंने अपनी-अपनी बात रखी है। नई दुकानें खोलने पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री लेंगे। वहीं, ग्वालियर में शराब को लेकर भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश चतुर्वेदी ने विवादित बयान दिया है। मीडिया के बातचीत में उन्होंने कहा, ‘अपने यहां तो देवता भी शराब पीते थे। मैंने खुद मृत्युंजय में पढ़ा है कि जब महाभारत के युद्ध की घोषणा हुई तब राजाओं ने घोषणा की थी कि आयुध और शराब निर्माता अपना उत्पादन बढ़ाएं। ये तो पुरातन काल से चला आ रहा है’।

आबकारी विभाग ने दी सफाई
बता दें अभी कुछ दिन पहले प्रदेश में नई शराब की दुकानें खोले जाने के लिए मुख्यमंत्री के साथ हुई एक बैठक में यह तर्क दिया गया था कि 10 साल से नई शराब की दुकानें नहीं खुलीं हैं, इसलिए अवैध शराब का कारोबार बढ़ रहा है। जनगणना 2011 के हिसाब से 5 हजार से ज्यादा आबादी वाले गांवों में शराब की दुकान खोलने का प्रस्ताव भेजें। शराब की नई दुकानें खोलने वाले मुद्दे का विरोध किए जाने पर आबकारी विभाग के ओर से कहा गया, ‘हमने कलेक्टरों से नई दुकानों के सुझाव मांगे हैं, क्योंकि यह सिर्फ एक रुटीन प्रक्रिया है। प्रस्ताव रद्द क्यों किए, इस पर कुछ नहीं बोलना है’।

 

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