ब्यास हॉस्पिटल के सभागार में आयोजित हुई बिलासपुर लेखक संघ की मासिक बैठक व कवि संगोष्ठी

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आवाज ए शाहपुर 

 विनोद चड्ढा,बिलासपुर

 14 दिसंबर। बिलासपुर लेखक संघ की मासिक बैठक एवं कवि संगोष्ठी ब्यास हॉस्पिटल के सभागार में आयोजित की गई,जिसमें जिला के 10 कवियों ने भाग लिया।काफी समय के पश्चात इस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।बैठक की अध्यक्षता संघ के जिला प्रधान रोशन लाल शर्मा ने की।इस बैठक में संघ के महासचिव सुरेंद्र मिन्हास भी उपस्थित थे।बैठक में कोरोना से संबन्धित सरकार द्वारा जारी किए गए सभी निर्देशों का पालन किया गया।
संघ के कार्यकारी महासचिव रविन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि बैठक के प्रथम सत्र में जिला लेखक संघ के फरवरी में होने वाले चुनाव पर चर्चा की गई तथा यह निर्णय लिया गया कि जनवरी माह की बैठक नहीं होगी तथा फरवरी में संघ का साधारण अधिवेशन होगा व नई कार्यकारिणी का चुनाव किया जाएगा जिसमें सभी उपस्थित कवियों व साहित्यकारों के भोजन की व्यवस्था रोशन लाल शर्मा करेंगे।इस अवसर पर जिला रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा लेखक संघ के सदस्यों को निशुल्क मास्क वितरित किए गए।संघ द्वारा जिला रेड क्रॉस द्वारा लोक सेव्ठआ में किये जा रहे योगदान की सराहना की गई।बैठक में संघ के सभी सदस्यों से आग्रह किया गया कि वे जब भी किसी अखवार या किसी अन्य माध्यम से अपनी रचनाएँ या अन्य सामग्री छपने के लिए भेजें तो जिला लेखक संघ का नाम भी साथ जोड़ दें ताकि जिला का नाम ऊंचा हो। द्वितीय सत्र में कवि संगोष्ठी की अध्यक्षता श्री अमर नाथ धीमान ने की जिसमें सभी उपस्थित कवियों ने अपनी अपनी रचनाएँ पढ़ी।मंच संचालन रविंदर कुमार शर्मा ने किया।
कवि संगोष्ठी की शुरुआत अनिल शर्मा नील ने अपनी कविता “ डिजिटल के इस दौर में,कागज कलम है ठौर में,कैसे मैं लिखूँ मन कि,मन तो है सिरमौर में” से की।इसके पश्चात रविंदर कुमार शर्मा ने “पंचायत के चुनाव आ गए,मेरी भी मौज लगा दो जी,मुझे भी प्रधान बना दो जी ” पर वाहवाही लूटी।बुद्धि सिंह चंदेल ने पहाड़ी रचना  “रुत बरसाती री बुरी मित्रा,लगी जांदी कालजे जो छुरी मित्रा” प्रस्तुत की। सुशील पुंडीर परिंदा ने “मेहनत न देती मुझे नवजीवन,फसल मेरी तो वोट की दराती काट लेती है ” अमर नाथ धीमान ने “यादों की प्याली छलक़ी पर जाम खाली है अभी, जिंदगी गुजरी कहाँ शाम बाकी है अभी” सुरिन्दर मिन्हास ने “धमा चौकड़ी पाई कने चिजां पटाक्दे,चोहंदे पटाके बापुए रे ताँ कवाचड़ बाक्दे” प्रस्तुत की ! अंत में श्री रोशन लाल शर्मा ने “चाह है मेरी मैं भारत के कण कण में बस जाऊ,भारत माता का भाल उन्नत कर ,अपने में संतोष पाऊँ” पेश की।

 

 

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