पुराने कई मंत्रियों ने दिया अपने पद से इस्तीफा

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आवाज़ ए हिमाचल 
07 जुलाई। पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल का पहला कैबिनेट विस्तार आज शाम होना है। इससे पहले अब तक पुराने मंत्रियों के इस्तीफों का दौर शुरू हो गया और अब तक 13 मंत्री अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं, जिनमें रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, डॉ. हर्षवर्धन, रमेश पोखरियाल निशंक, थावरचंद गहलोत, बाबुल सुप्रियो और संतोष गंगवार समेत कई बड़े नाम शामिल हैं। इस रिपोर्ट में जानते हैं कि इन मंत्रियों को आखिर अपना पद क्यों छोड़ना पड़ गयाकेंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। माना जा रहा है कि देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ्य सेवाएं चरमराने की वजह से उनका पद छीन लिया गया। गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मोदी सरकार सवालों के घेरे में आ गई, जिसका नुकसान डॉ. हर्षवर्धन को उठाना पड़ा। उनके पास विज्ञान और तकनीक मंत्रालय भी था। ऐसे में हर्षवर्धन के इस्तीफे से दो भारी-भरकम मंत्रालय खाली हो गए।
उत्तराखंड की हरिद्वार लोकसभा सीट से सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को भी इस्तीफा देने के लिए कहा गया है। उनके पास मानव संसाधन विकास मंत्रालय का प्रभार था। बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते निशंक को हटाया गया। दरअसल, कुछ दिन पहले उन्हें कोरोना हो गया था, जिसके चलते वह करीब एक महीने तक अस्पताल में भर्ती रहे। उस दौरान शिक्षा के क्षेत्र में हालात इतने ज्यादा बिगड़ गए कि सीबीएसई पर फैसला लेने के लिए पीएम मोदी को खुद आगे आना पड़ गया था। गौरतलब है कि नई शिक्षा नीति पीएम मोदी के दिल के काफी करीब है, लेकिन शिक्षा मंत्रालय उसका श्रेय सरकार को नहीं दिला पाया, जिसका नतीजा उन्हें कुर्सी गंवाकर चुकाना पड़ा।बताया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से सांसद बाबुल सुप्रियो ने भी इस्तीफा दे दिया। वह पर्यावरण मंत्रालय में राज्य मंत्री थे।
दावा किया जा रहा है कि सुप्रियो पार्टी से नाराज चल रहे थे। इसके पीछे पश्चिम बंगाल विधानसभा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जिसमें बाबुल सुप्रियो मैदान में उतरे थे, लेकिन 50 हजार वोटों से हार गए।कर्नाटक की बेंगलूरू उत्तर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद सदानंद गौड़ा ने भी इस्तीफा दे दिया। वह रासायनिक एवं उर्वरक मंत्री थे। सूत्रों के मुताबिक, सदानंद गौड़ा पर कोरोना काल में हुई दवाओं की कमी को लेकर गाज गिरी है, जिसके चलते मोदी सरकार की काफी फजीहत हुई थी।उत्तर प्रदेश की बरेली लोकसभा सीट से सांसद संतोष गंगवार को भी पद से हटा दिया गया। वह स्वतंत्र प्रभार से श्रम एवं रोजगार मंत्री थे। बता दें कि कोरोना काल में संतोष गंगवार की लिखी एक चिट्ठी काफी वायरल हुई थी, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की थी। माना जा रहा है कि गंगवार को उसी चिट्ठी की सजा मिली।
हरियाणा की अंबाला लोकसभा सीट से सांसद रतन लाल कटारिया को भी इस्तीफा देने का फरमान जारी कर दिया गया। वह जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री थे। बताया जा रहा है कि उनकी जगह सिरसा से सांसद सुनीता दुग्गल को मंत्री बनाया जा रहा है।ओडिशा की बालासोर लोकसभा सीट से सांसद प्रताप सारंगी को भी इस्तीफा देने के लिए कहा गया है। वह सूक्ष्म, लघु और मध्यम के साथ पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय के राज्य मंत्री थे। सत्रों के मुताबिक, मोदी सरकार की वर्तमान कैबिनेट में सबसे उम्रदराज केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत को अपनी बढ़ती उम्र की वजह से पद छोड़ना पड़ा। हालांकि, मोदी सरकार ने उन्हें  कर्नाटक का राज्यपाल बनाकर सक्रिय राजनीति से सम्मानजनक विदाई दी। गौरतलब है कि मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल यानी 2014 से ही यह तय कर चुकी है कि वह 75 साल से ज्यादा उम्र के किसी भी मंत्री को कैबिनेट में नहीं रखेगी और गहलोत की उम्र अब 73 के पार हो गई थी।  मोदी सरकार की वर्तमान कैबिनेट में सबसे उम्रदराज केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत को अपनी बढ़ती उम्र की वजह से पद छोड़ना पड़ा। हालांकि, मोदी सरकार ने उन्हें  कर्नाटक का राज्यपाल बनाकर सक्रिय राजनीति से सम्मानजनक विदाई दी। गौरतलब है कि मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल यानी 2014 से ही यह तय कर चुकी है कि वह 75 साल से ज्यादा उम्र के किसी भी मंत्री को कैबिनेट में नहीं रखेगी और गहलोत की उम्र अब 73 के पार हो गई थी। 

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