पठानकोट मंडी फोरलेन प्रभावितों में मुआवजे को लेकर पनपा आक्रोश

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आवाज़-ए-हिमाचल 

5 दिसम्बर : पठानकोट मंडी फोरलेन परियोजना के पहले चरण के तहत कंडवाल से सिंयूनी तक करीब 1000 व्‍यवसायिक व घरेलू भवन फोरलेन की जद में आएंगे, इनका टूटना लगभग तय है। फोरलेन परियोजना से प्रभावित हो रहे लोगों को मिलने जा रहे मुआवजे की दर को लेकर इन लोगों में भारी हड़कंप मचा है, क्योंकि प्रभावित लोग यह मानकर चल रहे थे कि उन्हें यह मुआवजा उस नीति के मुताबिक मिलने जा रहा है, जिसकी अनुशंसा जिला प्रशासन द्वारा भूमि अधिग्रहण अधिकारी नूरपुर को अप्रैल 2019 के पत्र में की गई थी। इस पत्र में जहां 20 साल पहले बने परिसर के लिए 60 फीसद तो 30 वर्ष पूर्व बने परिसर के लिए 50 फीसद मुआवजा तथा अधिकतम मुआवजा दर 59000 प्रति वर्ग मीटर तय की गई थी। कच्चे भवनों के लिए भी मानक तय किए गए थे। लेकिन अब इसकी

बजाय सार्वजनिक निर्माण विभाग के मानकों के अनुसार मुआवजा देने की कवायद की जा रही है। जिसकी दर 24000 प्रति वर्ग मीटर के करीब है। लोक निर्माण विभाग की अन्य प्रकार की दरें भी बहुत कम हैं तथा 40 वर्ष से पहले से बने कच्चे व पक्के भवनों को शायद ही मुआवजा मिल सके। फाेरलेन संघर्ष समिति के अध्यक्ष सूबेदार मेजर सिंह व महासचिव विजय सिंह के अनुसार एनएच किनारे स्थित व्‍यवसायिक व अन्य परिसरों का मुआवजा सार्वजनिक निर्माण विभाग के मानकों के अनुसार दिया जाना व 31-4-2019 के जिला प्रशासन के रेट लागू न किया जाना फोरलेन प्रभावितों से बहुत बड़ा अन्याय है। इसे किसी भी सूरत में मंजूर नहीं किया जा सकता। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि वे नेशनल हाईवे अथॉरिटी से अप्रैल 2019  में जिला प्रशासन द्वारा भू अर्जन मुआवजा अधिकारी (एसडीएम नूरपुर) को दी गई अनुशंसा के आधार पर देना सुनिश्चित करे। अगर ऐसा न हुआ तो समिति प्रभावित लोगों के साथ सड़क पर उतरने के लिए विवश हो

जाएगी तथा इसकी जिम्मेदारी सरकार पर होगी। जिला अध्यक्ष कांग्रेस अजय महाजन का कहना है कि फोरलेन परियोजना के लिए एनएच किनारे के भवनों के अधिग्रहण की एवज में अप्रैल 2019 के तहत दरों के मुताबिक मुआवजा मिलना चाहिए। इसके साथ ही लोक निर्माण विभाग की कथित दरें लागू करना 35 कस्बों की जनता के साथ अन्याय है। इससे इन लोगों की आर्थिक स्थिति छिन्न-भिन्न हो जाएगी। नई नीति में 40 साल पहले बने कच्चे परिसर तथा 60 साल पहले बने पक्के परिसर को कोई भी मुआवजा नहीं मिलेगा। अप्रैल 2019 में तैयार की दरों में  एनएच से 25 मीटर तथा 50 मीटर तक की दूरी तक के लिए जो भी मानक तय किए गए थे, उनकी पालना की जाए तथा उन सब लोगों के आर्थिक हितों की रक्षा की जाए, जिनका सब कुछ इस परियोजना की जद में जा रहा है। लोकबाडी फोरलेन समिति के अ‍ध्‍यक्ष राजेश पठानिया का कहना है अप्रैल 2019 को जिला प्रशासन द्वारा भवनों के मुआवजे को लेकर की गई नोटिफिकेशन को नए सिरे करते हुए इसकी संस्तुति नेशनल हाईवे प्राधिकरण से करें, ताकि प्राधिकरण उस दर से मुआवजा दे। सार्वजनिक निर्माण विभाग के मानकों वाला मुआवजा बिल्कुल तर्कसंगत नहीं है।

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