नया साल आने से पहले रूठे किसानों को मना लेगी सरकार : कृषि मंत्री

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आवाज़ ए हिमाचल

19 दिसम्बर। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर 23 दिन से चल रहे आंदोलन को केंद्र सरकार नए साल तक समाप्त कर लेगी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक साक्षात्कार में यह उम्मीद जताई।उन्होंने कहा, आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने भले ही सरकार से बातचीत करना बंद कर दिया है लेकिन फिर भी केंद्र सरकार किसानों से नियमित बात कर रही है। मोदी सरकार किसानों के हितों को लेकर प्रतिबद्ध है और हमें उम्मीद है कि इस साल के अंत तक कृषि सुधार कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को हम मना लेंगे।  कृषि मंत्री ने कहा, सरकार किसान भाइयों की हर वाजिब चिंताओं का समाधान तलाशने और उनकी मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। मगर कुछ लोग हैं जो किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सरकार पर निशाना साध रहे हैं।कृषि मंत्री ने जोर दिया कि ऐसे लोगों और उनके समर्थन वाले संगठनों से बातचीत करने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा, विपक्षी पार्टियां किसानों को गुमराह कर रही हैं। जबकि सरकार वाजिब किसान संगठनों से बातचीत कर रही है।

इरादे नेक हों तो समाधान जरूर निकलेगा
तोमर ने कहा, जब इरादे नेक हों तो समाधान जरूर निकलेगा। मोदी सरकार ने किसानों के हित के लिए साफ नीयत से कानून बनाया है। इसके परिणाम भी अच्छे होंगे। हम लगातार वाजिब किसान संगठनों से बातचीत कर रहे हैं। कुल मिलाकर हमारा लक्ष्य है कि बातचीत के जरिये इस गतिरोध समाप्त हो। पूरी उम्मीद है कि 2020 के अंत तक किसानों के मुद्दे का समाधान हो जाएगा।

आखिर वाजिब किसान संगठन कौन हैं?
तोमर ने कहा, वे संगठन जो वास्तव में किसान को लेकर चिंतित हैं, जो उनका भला और बुरा समझते हैं और उनकी बेहतरी के लिए प्रयास कर रहे हैं। सरकार ऐसे संगठनों से ही बात करना चाहती है। जो लोग सिर्फ अपना उल्लू सीधा करने के लिए किसानों का सहारा ले रहे हैं ऐसे लोगों से बात करने का कोई औचित्य नहीं है।कृषि मंत्री ने जोर देकर कर दोहराया कि तीनों नए कृषि सुधार कानून किसानों के लिए लाभकारी हैं और सरकार एमएसपी व मंडियों को बरकरार रखने का लिखित आश्वासन देने को भी तैयार है।

क्या सुप्रीम कोर्ट की कमेटी अब बातचीत आगे बढ़ाएगी या सरकार अपने प्रयास जारी रखेगी?
जवाब में कृषि मंत्री ने कहा, बातचीत के लिए सरकार का द्वार खुला है। किसान नेता जब चाहें हमसे बात कर सकते हैं और रही बात सुप्रीम कोर्ट की तो हम आदेश का इंतजार कर रहे हैं उसके बाद ही तय होगा कि आगे क्या करना है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है, कोर्ट का आदेश आने के बाद हम उसका अध्ययन करेंगे और फिर कदम उठाएंगे।तोमर ने कहा, किसानों के लिए चिंतित संगठनों को किसानों की समस्याओं को उठाना चाहिए ताकि सरकार उनका समाधान खोज सके। संगठनों को किसानों के हित के लिए लागू किए गए कानूनों को रद्द करने की जिद छोड़ देनी चाहिए।

एमएसपी देने के लिए सरकार की क्या योजना है?
तोमर ने कहा, सरकार लिखित में देने को तैयार है कि जिस तरह अब तक एमएसपी चल रही था वैसे ही आगे भी चलती रहेगी। इसको लेकर किसी को भी कोई संदेह नहीं होना चाहिए।उन्होंने कहा, एमएसपी प्रशासनिक फैसला है और हर चीज के लिए कानून नहीं हो सकता। पूरा देश चलाने के लिए कानून हैं। इन कानूनों के अंदर कुछ नियम हैं और कुछ प्रशासनिक निर्णय भी हैं। क्या सरकार के फैसले पर संदेह होना चाहिए? क्या अब तक एमएसपी किसी कानून के दायरे में था।

 

 

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