ड्रैगन ने एलएसी से वापस बुलाए 10 हजार जवान

Spread the love

आवाज ए हिमाचल 

13 जनवरी। हांगकांग स्थित एक अंग्रेजी अखबार ने चीनी सूत्रों के हवाले से दावा किया कि चीन ने भारत के साथ विवादित सीमा से 10 हजार सैनिकों को वापस बुला लिया है, क्योंकि ड्रैगन को लगता है कि ठंड के मौसम में आमना-सामना होने की आशंका काफी कम है। अखबार के अनुसार, सभी सैनिकों को सैन्य वाहनों से वापस बुलाया गया है, ताकि भारतीय पक्ष देख सके और वैरिफाई कर सके। दक्षिण चीन मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट की मानें तो झिंजियांग और तिब्बत सैन्य क्षेत्रों की यूनिट्स से अस्थायी रूप से सैनिकों को यहां तैनात किया गया था। वहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों के अनुसार, भारतीय सेना ऐसे समय तक अलर्ट पर रहेगी, जब तक कि पीएलए पूर्वी लद्दाख की एलएसी पर यथास्थिति बहाल नहीं करती। उन्होंने आमने-सामने वाली जगहों से भारतीय सैनिकों की वापसी की संभावनाओं को तब तक के लिए खारिज कर दिया, जब तक डिस-एंगेजमेंट और डी-एस्केलेशन नहीं हो जाता।

गौर करने वाली बात यह है कि पीएलए काराकोरम दर्रे से 94 किलोमीटर दूर जैदुल्ला या शहीदुल्ला गैरिसन में वार्षिक अभ्यास करती है। यह दर्रा दौलत बेग ओल्डी से कुछ ही दूरी पर है। 19वीं शताब्दी में, डोगरा जनरल जोरावर सिंह ने रणनीतिक रूप से स्थित इस कस्बे तक के सभी क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था। यह सैंशिली बैरक के रूप में जाना जाता है और लद्दाख और तारिम बेसिन के बीच कारवां मार्ग पर स्थित है। जैदुल्ला पर साल 2018 को छोडक़र हर साल पीएलए ट्रेनिंग एक्सरसाइज करती रहती है।

साल 2020 में, एक डिवीजन प्लस पीएलए सैनिकों ने मार्च-अक्टूबर 2020 तक 100-150 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में अभ्यास किया, जिसमें छह मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री डिवीजन और चार मोटराइज्ड डिवीजन शामिल थे। इस दौरान, भारतीय सेना के साथ चीनी सेना का आमना-सामना भी जारी था। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि वे वापस चले गए हैं यानहीं। इसी तरह की ट्रेनिंग एक्सरसाइज चुम्बी घाटी में सिक्किम सीमा पर फारी जोंग में भी होती रही है।हालांकि, यह बताने के लिए सबूत हैं कि पीएलए के जवान कब्जा किए गए अक्साई चिन में इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने के बाद पिछले महीने वापस चले गए हैं। 320 से अधिक वाहन वापस चले गए और कुछ 40-45 अस्थायी शेल्टर्स को इंफ्रास्ट्रक्चर का काम पूरा होने के बाद निकाल लिया गया।

चीनी न्यूज रिपोर्ट में कहा गया है कि सेंट्रल मिलिट्री कमिशन यह तय मान कर चल रहा है कि दोनों पक्षों के लिए हिमालय में इस तरह के बेहद ठंडे मौसम में लडऩा असंभव है और इसलिए सैनिकों को आराम करने के लिए वापस बनाए गए उनके बैरकों में भेज दिया गया है। अखबार ने एक सेवानिवृत्त भारतीय राजनयिक के हवाले से यह भी कहा है कि कथित चीनी कदम भारत को एक समान प्रतिक्रिया पर विचार करने के लिए प्रेरित कर सकता है, लेकिन भारतीय सेना को ऐसे माइंड गेम्स से सावधान रहना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *