अमरीका में ली अंतिम सांस, दलाईलामा को सुरक्षित भारत लाने वाले अंतिम अंगरक्षक का भी निधन

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आवाज ए हिमाचल 

29 दिसम्बर। तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के अंतिम जीवित निजी अंगरक्षक अनेन दावा का 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया। अमरीका के मिनेसोटा में उन्होंने अंतिम सांस ली। वर्ष 1939 में जन्मे, अनेन दावा केवल 15 वर्ष के थे, जब वह तिब्बत के नोरबुलिंगका में दलाई लामा की व्यक्तिगत सेना में शामिल हुए थे। चार साल के बाद उन्हें औपचारिक रूप से सेना में शामिल किया गया और अगले चार वर्षों के लिए सेरा, ड्रेपंग और गादेन मठों में स्कूली शिक्षा के माध्यम से दलाईलामा की सेवा करने के लिए व्यक्तिगत गार्ड के रूप में काम करना जारी रखा। 17 मार्च, 1959 की रात को दलाईलामा हजारों तिब्बतियों के साथ निर्वासन में आने लगे तो अनेन दावा ने तिब्बती धार्मिक गुरू के निर्वासन के सुरक्षित मार्ग को सुनिश्चित करने के लिए अपने कर्त्तव्यों को पूरा किया।

31 मार्च को भारत में सुरक्षित रूप से पहुंचने पर निजी अंगरक्षकों और स्वयंसेवकों के एक समूह ने तिब्बत लौटने का फैसला किया, ताकि चीनी सेना के खिलाफ प्रतिरोध खड़ा किया जा सके। उनमें से सबसे छोटे अनेन दावा और एक अन्य अंगरक्षक को दलाई लामा के साथ मसूरी जाने के लिए कहा गया। वह पहले 50 छात्रों में से एक के रूप में मसूरी में स्थापित तिब्बती होम्स स्कूल में शामिल हुए। इसके बाद उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय में अमरीका में अपनी आगे की पढ़ाई की और बाद में बोस्टन से उन्होंने स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1996 में वह पुनर्वास नीति के माध्यम से सेवानिवृत्त होकर अमरीका के मिनेसोटा में रहने लगे। अब 27 दिसंबर को उनका निधन हो गया। उनके परिवार में पत्नी खांडो दावा, तीन बच्चे त्सेयांग, चोएवांग और चोएफेल के अलावा पोती जेंडेन है।

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