आवाज़ ए हिमाचल
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के तहत बकाया राशि का भुगतान किस्तों में करने की इजाजत केंद्र सरकार को दे दी है। कोर्ट ने कहा है कि पूर्व सैनिकों की पूरी बकाया पेंशन का भुगतान 28 फरवरी, 2024 से पहले कर दिया जाए। यह बकाया राशि लगभग 21 लाख पूर्व सैनिकों या उनके परिवारों को दी जानी है। इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की नाराजगी का सामना करना पड़ा। उन्होंने मामले की जानकारी सील बंद लिफाफे में दिए जाने पर एटॉर्नी जनरल को कड़े शब्दों में हिदायत दी। उन्होंने कहा कि हम कोई भी गोपनीय दस्तावेज या सीलबंद लिफाफे नहीं लेंगे और मैं व्यक्तिगत रूप से इसके खिलाफ हूं। अदालत में पारदर्शिता होनी चाहिए। यह आदेशों को लेकर हैं। यहां क्या गोपनीयता होनी चाहिए? उन्होंने साफ कर दिया है कि वह सीलबंद लिफाफों के इस्तेमाल को बंद करना चाहते हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट इसका पालन करता है, तो हाई कोर्ट भी करेंगे।
साथ ही उन्होंने सरकार के शीर्ष वकील से लिफाफे में बंद जानकारी को पढक़र सुनाने या वापस ले जाने की बात कही। इसके बाद अटॉर्नी जनरल ने सबके सामने नोट पढक़र सुनाया, जिसमें लिखा था कि रक्षा मंत्रालय ने इस साल पेंशन के लिए 1.2 लाख करोड़ रुपए आबंटित किए हैं, लेकिन ओआरओपी योजना के बाद पेंशन बढऩे के कारण एक बड़ी रकम का भुगतान अब भी बकाया है। 2019 से 2022 के बीच की अवधि के लिए बकाया यह राशि 28 हजार करोड़ रुपए है। इसका भुगतान एक ही साथ कर पाना कठिन है। वित्त मंत्रालय ने भी ऐसा न करने की सलाह दी है। इसे किस्तों में किया जाएगा। पूरा भुगतान इसी वित्त वर्ष में कर दिया जाएगा। जजों ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया। इससे पहले 13 मार्च को हुई सुनवाई के दौरान भी सुप्रीम कोर्ट ने चार किस्तों में ओआरओपी के बकाया का भुगतान करने के लिए केंद्र सरकार के फैसले को एकतरफा बताया था।
पेंशन की समीक्षा पर नहीं पड़ेगा असर
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि इस भुगतान को आधार बना कर सरकार हर पांच वर्ष में होने वाली पेंशन की समीक्षा और बढ़ोतरी को टालने की कोशिश नहीं कर सकेगी। जुलाई, 2024 के लिए तय यह प्रक्रिया अपने समय पर ही होगी।